बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar election 2025) के पहले फेज में सिर्फ 19 दिन बाकी हैं, लेकिन चुनावी मैदान पहले ही अंदरूनी उठापटक और बागियों की खलबली से गरम हो गया है। एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Mahagathbandhan) दोनों ही अपने उम्मीदवारों के बीच असंतोष और आंतरिक मतभेद झेल रहे हैं। टिकट कटने से नाराज नेताओं ने अब निर्दलीय या जन सुराज जैसी पार्टियों के पर्चों पर चुनावी मैदान में उतरना शुरू कर दिया है, जिससे कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय और चतुर्भुजीय रूप ले चुका है।
गोपालपुर सीट से जदयू विधायक गोपाल मंडल ने शनिवार को निर्दलीय पर्चा दाखिल किया और सभा को संबोधित करते हुए भावुक होते हुए कहा, “लड़ाई आर-पार की है। नीतीश कुमार को बहका कर मेरा टिकट कटवा दिया गया है। हमने कभी कोई गलती नहीं की। मैं नीतीश कुमार को छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगा। अगर गलती हुई है तो माफ करते हुए फिर से वोट दीजिए।” इसके बाद उन्होंने रोते हुए नारा लगवाया, “प्रेम से बोलो, नीतीश कुमार की जय।”
वहीं नरकटियागंज सीट से भाजपा विधायक रश्मि वर्मा निर्दलीय मैदान में हैं। बगहा में भाजपा के पूर्व पदाधिकारी भूपनारायण यादव और दिनेश अग्रवाल ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए चुनावी रणनीति में बदलाव की संभावना पैदा कर दी है।
बिखरता महागठबंधन ! नामांकन की आखिरी तारीख नज़दीक.. फिर भी सीट बंटवारे पर सहमति नहीं
पटना क्षेत्र की दीघा, पटना साहिब, कुम्हरार, मनेर, पालीगंज, दानापुर, बिक्रम और बाढ़ सीटों पर भी एनडीए और महागठबंधन को आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दीघा में भाजपा के संजीव चौरसिया के सामने जदयू के नाराज नेता रीतेश रंजन सिंह जन सुराज पार्टी से मुकाबला कर रहे हैं, जबकि भाकपा-माले की दिव्या गौतम तीसरे मोर्चे के तौर पर मैदान में हैं।
पटना साहिब में भाजपा ने टिकट बदलते हुए नंदकिशोर यादव की जगह रत्नेश कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया। इससे मेयर के पुत्र शिशिर कुमार नाराज होकर बागी बन गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस सीट पर भाजपा की गणित गड़बड़ा सकती है और महागठबंधन को भी इसका लाभ मिल सकता है।






















