बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की तारीखों के ऐलान के साथ ही सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं, लेकिन एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अब भी सहमति नहीं बन सकी है। बीजेपी, जेडीयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के बीच चल रही चर्चाओं में अब तनाव साफ झलकने लगा है। एक ओर जहां जीतन राम मांझी अपनी सीटों की संख्या को लेकर अड़े हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ चिराग पासवान की शर्तों ने भाजपा की रणनीति को उलझा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सहमति का रास्ता अब भी दूर है। मंगलवार को दिल्ली में भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और मंगल पांडे ने चिराग पासवान से मुलाकात की थी। यह बैठक सीट शेयरिंग को अंतिम रूप देने के लिए बुलाई गई थी। हालांकि मुलाकात के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया और चिराग पासवान पटना लौट आए।
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पटना एयरपोर्ट पर जब मीडिया ने उनसे सीट बंटवारे को लेकर सवाल पूछा, तो चिराग ने कहा, “जैसा मैंने पहले कहा था, सही समय पर सब कुछ साझा किया जाएगा। बातचीत अभी शुरुआती दौर में है, और जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।” उनके इस जवाब से साफ है कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) अभी भी अपनी मांगों पर कायम है और बीजेपी पर दबाव बनाए रखना चाहती है।
दूसरी ओर, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी भी सीटों की संख्या को लेकर अडिग हैं। सूत्रों के अनुसार, मांझी ने कम से कम 15 सीटों की मांग रखी है, जबकि बीजेपी और जेडीयू उन्हें 5 से 6 सीटों का ऑफर दे रहे हैं। मांझी का कहना है कि उनकी पार्टी को विधानसभा में मान्यता पाने के लिए पर्याप्त सीटें मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारा किसी से कोई विवाद नहीं है, लेकिन हमारी यह मांग जायज़ है कि हमारी पार्टी को उतनी सीटें मिलें जिससे विधानसभा में हमारी पहचान बने।”
मांझी के इस रुख से भाजपा नेतृत्व असमंजस में है। पिछले चुनाव में उनकी पार्टी ने 7 सीटों पर लड़कर 4 पर जीत दर्ज की थी। अब वे अपने प्रभाव के आधार पर सीटों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं। वहीं, भाजपा चाहती है कि सभी सहयोगी दल मिलकर एनडीए के वोट बैंक को मजबूत रखें, लेकिन सीमित सीटों में तालमेल बनाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।






















