मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुरक्षा व्यवस्था (Nitish Kumar security lapse) पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। गांधी जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर को जब नीतीश कुमार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ पटना में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे, तभी सुरक्षा चूक का ताज़ा मामला सामने आया। श्रद्धांजलि देने के बाद जैसे ही मुख्यमंत्री मंच से नीचे उतरे, अचानक एक शख्स बंद लिफाफा लेकर उनके पास आ गया और उसमें से कागज दिखाने लगा। यह न केवल मुख्यमंत्री बल्कि सुरक्षाकर्मियों के लिए भी चौंकाने वाली घटना थी। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उस युवक को हिरासत में ले लिया, लेकिन घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और विपक्षी दल इसे बड़ा मुद्दा बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देश के सबसे कड़े सुरक्षा घेरे में से एक जेड प्लस कैटेगरी और एएसएल सुरक्षा प्राप्त है। मौजूदा समय में उनकी सुरक्षा में करीब 200 से ज्यादा ट्रेंड कमांडो तैनात रहते हैं, जिन्हें स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप (SSG) कहा जाता है। इस ग्रुप में पुलिस बल के साथ-साथ ITBP, CRPF, NSG और SPG के कमांडो भी शामिल रहते हैं। इतना ही नहीं, सीएम की सुरक्षा को लेकर विशेष नियम बनाए गए हैं जिनके तहत बिना पूरी जांच और अनुमति के कोई भी व्यक्ति उनके नजदीक नहीं जा सकता, यहां तक कि उन्हें माला पहनाने तक पर रोक है।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार की सुरक्षा पर सवाल उठा हो। इससे पहले भी कई मौकों पर सुरक्षा घेरे को भेदने की घटनाएं हो चुकी हैं। हर बार जांच और कार्रवाई के वादे किए जाते हैं, लेकिन घटनाओं का दोहराव यह दर्शाता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं गंभीर खामी बरकरार है।






















