Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। राजधानी पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकात ने राज्य की राजनीति का पारा और बढ़ा दिया है। दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद जदयू प्रदेश कार्यालय में चुनावी रणनीति को लेकर अहम मीटिंग हुई, जिसमें खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए। इस बैठक के बाद जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर करारा निशाना साधा।
संजय झा ने कहा कि राहुल गांधी बिहार घूमकर भी गए हैं, लेकिन यहां उनकी कोई राजनीतिक छाप नहीं दिखाई देती। वे क्या कहते हैं और क्या दिखाना चाहते हैं, यह जनता समझ ही नहीं पा रही है। झा ने यह भी कहा कि अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात स्वाभाविक है। जब दो बड़े नेता मिलते हैं तो राज्य और देश के मुद्दों पर चर्चा होती है। चूंकि बिहार में चुनाव हैं, इसलिए चुनावी समीकरण और सीट बंटवारे पर भी बात हुई है, लेकिन फिलहाल इस पर कोई खुलासा नहीं किया जा सकता।
वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव की यात्राओं पर भी जदयू नेताओं ने सवाल खड़े किए। संजय झा ने कहा कि तेजस्वी ने एक यात्रा राहुल गांधी के साथ की थी और अब दूसरी यात्रा निकाल रहे हैं, लेकिन जनता पर उसका कोई असर नहीं दिख रहा है। बिहार की जनता जानती है कि राजद के शासनकाल का मतलब क्या होता है। यही वजह है कि इस चुनाव में नीतीश कुमार का नेतृत्व सबसे बड़ा फैक्टर साबित होने जा रहा है।
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बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने भी राहुल गांधी के बयानों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी चुनाव आयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहले से लंबित है, लेकिन कांग्रेस केवल भ्रम का माहौल बना रही है। उन्होंने कांग्रेस की स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 1977 के बाद से कांग्रेस लगातार गिरावट में है और अब आत्ममंथन की जरूरत है।
चौधरी ने यह भी कहा कि जब तक कांग्रेस राजद के साथ रहेगी, तब तक उसका उत्थान संभव नहीं है। 2015 में नीतीश कुमार ने अपने विधायकों की सीट काटकर कांग्रेस को सहारा दिया था, लेकिन राजद ने कभी कांग्रेस के साथ वफादारी नहीं निभाई।
तेजस्वी यादव के “डिग्री लाओ, नौकरी पाओ” बयान पर भी अशोक चौधरी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राजद के शासनकाल में “चरवाहा विद्यालय” जैसे फैसले लिए गए, जबकि नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोलकर शिक्षा का स्तर ऊंचा किया। उनके अनुसार, राजद के समय में बुद्धिजीवी बिहार छोड़कर चले गए थे और आज तेजस्वी उसी राजनीति को फिर से जिंदा करना चाहते हैं।






















