बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) का दूसरा चरण अब सियासी तापमान को चरम पर ले आया है। मंगलवार को होने वाले मतदान में जहां जनता अपने जनप्रतिनिधि चुनने जाएगी, वहीं महागठबंधन के भीतर की खींचतान और आपसी टकराव इस चुनावी चरण को बेहद दिलचस्प बना रहे हैं। दिलचस्प यह है कि महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियां — राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस — एक-दूसरे के खिलाफ सीधे मुकाबले में हैं।
छह सीटें ऐसी हैं जहां महागठबंधन के दोनों साथी आपस में ही आमने-सामने हैं। करगहर से लेकर चैनपुर तक, यह जंग न सिर्फ विपक्षी दलों के लिए बल्कि पूरे राज्य की राजनीति के लिए अहम संकेत देने वाली है।
करगहर सीट पर CPI के महेंद्र प्रसाद गुप्ता और कांग्रेस के संतोष कुमार मिश्रा के बीच मुकाबला सियासी विश्लेषकों के लिए ‘वाम बनाम कांग्रेस’ की नई परिभाषा पेश कर रहा है। नरकटियागंज में आरजेडी के दीपक यादव और कांग्रेस के शाश्वत केदार के बीच लड़ाई पार्टी नेतृत्व की अंदरूनी असहमति को उजागर कर रही है। इसी तरह सिकंदरा सीट पर कांग्रेस के विनोद चौधरी और आरजेडी के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी के बीच जंग ने गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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कहलगांव सीट पर भी आरजेडी-कांग्रेस की टक्कर ने पूरे इलाके में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। आरजेडी के रजनीश भारती और कांग्रेस के प्रवीण सिंह कुशवाहा के बीच यह मुकाबला ‘साथी से शत्रु बने’ राजनीतिक समीकरणों को दिखा रहा है। सुल्तानगंज में आरजेडी के चंदन सिन्हा और कांग्रेस के ललन कुमार के बीच मुकाबला भी उसी सियासी खेमे की अंदरूनी उठापटक को उजागर कर रहा है।
वहीं कैमूर की चैनपुर सीट पर वीआईपी और आरजेडी आमने-सामने हैं — वीआईपी के गोविंद बिंद और आरजेडी के बृज किशोर बिंद के बीच यह मुकाबला भी ओबीसी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
दूसरे चरण में बिहार के 20 जिलों — पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास — की 122 सीटों पर वोटिंग होगी। इस चरण में लगभग 2.5 करोड़ मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे।






















