Rahul Gandhi Case Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, सियासी बयानबाज़ी का स्तर भी लगातार नीचे गिरता जा रहा है। इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के लोक आस्था के पर्व छठ पर दिए गए कथित बयान के बाद उनके खिलाफ मुजफ्फरपुर CJM कोर्ट में परिवाद दर्ज हुआ है। अब इस मामले में 11 नवंबर 2025 को सुनवाई तय की गई है।
यह मामला बिहार की राजनीति में नया तड़का जोड़ता दिख रहा है, क्योंकि यह सीधे-सीधे धार्मिक भावनाओं और प्रधानमंत्री के सम्मान से जुड़ा हुआ है। बिहार में चुनावी गर्मी के बीच यह विवाद कांग्रेस के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकता है, वहीं एनडीए इसे बिहार की ‘अस्मिता’ से जोड़कर चुनावी नैरेटिव बना रहा है।
दरअसल, यह परिवाद मुजफ्फरपुर के जाने-माने अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने दायर किया है। ओझा का आरोप है कि राहुल गांधी ने बिहार के सकरा विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा के दौरान कहा था कि “प्रधानमंत्री मोदी वोट के लिए स्टेज पर नाच भी लेंगे।” इतना ही नहीं, ओझा ने यह भी दावा किया कि राहुल ने छठ पर्व को लेकर “ड्रामा” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे बिहार की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
अधिवक्ता ओझा ने यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 298, 352, 353 और 356(2) के तहत दर्ज कराया है। कोर्ट ने परिवाद स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 11 नवंबर को तय की है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मामला चुनावी परिदृश्य को बदल सकता है, क्योंकि बिहार की जनता छठ पर्व को सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक मानती है।
विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा इस मुद्दे को “धर्म बनाम राजनीति” की तरह पेश कर रही है ताकि भावनात्मक ध्रुवीकरण किया जा सके। कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राहुल गांधी ने किसी धर्म या त्योहार का अपमान नहीं किया, बल्कि बीजेपी की “इवेंट पॉलिटिक्स” की आलोचना की थी।
हालांकि, एनडीए इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाकर इसे “बिहार की आस्था पर हमला” के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी बार-बार ऐसी टिप्पणियां करते हैं जो जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।
इस बीच, सुधीर कुमार ओझा कोई नए खिलाड़ी नहीं हैं। वे इससे पहले भी कई बड़े नेताओं जैसे प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, रजनीकांत और यहां तक कि सलमान खान तक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर चुके हैं। उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति को धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अब निगाहें 11 नवंबर की सुनवाई पर हैं, जब यह तय होगा कि राहुल गांधी की कानूनी परेशानियां बढ़ेंगी या यह मामला सिर्फ चुनावी हवा में एक और राजनीतिक मोड़ बनकर रह जाएगा।






















