बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को सामाजिक रूप से विस्तार देने की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक दांव चला है। पूर्व सांसद और मंत्री रेणु कुशवाहा और जनाधार पार्टी के नेता राघवेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव की उपस्थिति में RJD की सदस्यता ली। यह घटनाक्रम न केवल NDA के लिए राजनीतिक झटका है, बल्कि RJD की ओर से OBC समीकरण को साधने की दिशा में एक सुनियोजित चाल के रूप में देखा जा रहा है।
बदलते समीकरण: Yadav के साथ अब Kushwaha भी
बिहार की राजनीति में कुशवाहा समाज की गिनती एक सशक्त OBC वर्ग के रूप में होती है। अब तक यह वर्ग मुख्यतः JDU या NDA के साथ जुड़ा रहा, लेकिन तेजस्वी यादव की रणनीति उस सामाजिक समीकरण को तोड़ने और पुनः संयोजित करने की है।
नेता | राजनीतिक पृष्ठभूमि | प्रभाव क्षेत्र |
---|---|---|
रेणु कुशवाहा | JDU, BJP की पूर्व नेता, मंत्री रह चुकीं | खगड़िया, कोसीमांचल |
राघवेंद्र कुशवाहा | सीमांचल में पकड़ | पूर्णिया, कटिहार |
तेजस्वी अब यदुवंशियों से आगे बढ़ते हुए कुशवाहा, पासवान, ब्राह्मण और भूमिहार जातियों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे M-Y समीकरण अब M-Y-K+ में बदलता दिख रहा है।
रेणु कुशवाहा क्यों हैं अहम?
- तीन बार विधायक और एक बार सांसद रह चुकीं
- कृषि, उद्योग और आपदा प्रबंधन मंत्रालय में मंत्री का अनुभव
- 2014 में BJP छोड़ने के बाद राजनीतिक हाशिए पर थीं
- अब तेजस्वी यादव की छत्रछाया में नए राजनीतिक पुनर्जन्म की शुरुआत
Tejashwi Yadav की रणनीति कितनी कारगर?
- यह कदम OBC वोट बैंक को खींचने के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
- RJD अब केवल मुस्लिम-यादव पर निर्भर नहीं रहना चाहता।
- महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रमुखता देना एक Strategic move है।
क्या NDA के वोट बैंक में सेंध लगेगी?
NDA के लिए यह घटनाक्रम चिंताजनक हो सकता है क्योंकि—
- उपेंद्र कुशवाहा अब उतने सक्रिय नहीं हैं
- कुशवाहा समाज में नए नेतृत्व की तलाश दिख रही है
- रेणु और राघवेंद्र जैसे नेताओं का प्रभाव ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मजबूत है
NDA को अब इस वर्ग को संभालने के लिए नई रणनीति बनानी होगी।
क्या बन रही है RJD की नई ‘OBC Rainbow Coalition’?
तेजस्वी यादव अब राजनीति के पुराने समीकरणों को बदलने में लगे हैं। उनके लिए यह सिर्फ दो नेताओं को पार्टी में शामिल करना नहीं, बल्कि एक समाजिक संकेत है कि RJD अब सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी बनना चाहती है। 2025 के चुनावों में यह तय होगा कि ये रणनीति सिर्फ ऑप्टिक्स तक सीमित रही या वास्तविक वोटों में तब्दील हुई।