गया जिले की टिकारी विधानसभा सीट (Tikari Vidhan Sabha Seat Bihar 2025) बिहार की उन राजनीतिक सीटों में से एक है, जहां हर चुनाव में समीकरण बदलते रहे हैं। यह सीट औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और कोंच व टिकारी प्रखंडों से मिलकर बनी है। टिकारी सीट का राजनीतिक इतिहास अपेक्षाकृत नया है, क्योंकि यह 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। लेकिन इसके बाद से इसने बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान बना ली है।
चुनावी इतिहास
2010 में पहली बार यहां हुए विधानसभा चुनाव में अनिल कुमार ने जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की थी। उस चुनाव में उन्होंने क्षेत्र में विकास के एजेंडे के साथ अपनी पकड़ मजबूत की। 2015 में भी यह सीट जेडीयू के पास रही और अभय कुशवाहा विधायक बने। हालांकि, 2020 का चुनाव टिकारी की राजनीति में बड़ा मोड़ लेकर आया, जब यह सीट एनडीए के भीतर हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के खाते में चली गई। इस बार फिर अनिल कुमार ने ही मैदान में उतरकर कांग्रेस के सुमंत कुमार को करीबी मुकाबले में मात दी। वहीं लोजपा के कमलेश शर्मा और बसपा के शिव बचन यादव तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
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जातिगत समीकरण
टिकारी की राजनीतिक तस्वीर इस बात से भी दिलचस्प हो जाती है कि यह क्षेत्र सामान्य वर्ग की सीट होने के बावजूद जातीय रूप से बेहद विविध है। यहां अनुसूचित जातियों की आबादी 23.88% है, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 5.9% हैं। वहीं, केवल 4.62% मतदाता शहरी क्षेत्र से हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि टिकारी मुख्यतः एक ग्रामीण इलाका है। यही कारण है कि यहां चुनावी मुद्दे विकास, सड़क, सिंचाई, शिक्षा और रोजगार जैसे स्थानीय सरोकारों पर केंद्रित रहते हैं।






















