दरभंगा विधानसभा सीट Darbhanga Vidhansabha (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 83) बिहार की राजनीति में एक खास पहचान रखती है। मिथिला क्षेत्र की राजनीति का केंद्र मानी जाने वाली यह सीट लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है। 2005 से अब तक संजय सरावगी लगातार यहां जीत दर्ज करते आए हैं, जिससे यह सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ कही जाती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दरभंगा विधानसभा का रुख सिर्फ स्थानीय ही नहीं बल्कि बिहार की बड़ी राजनीतिक दिशा का भी संकेत देता है।
चुनावी इतिहास
साल 2005 के विधानसभा चुनाव में दरभंगा सीट पर दो बार चुनाव हुए और दोनों ही बार बीजेपी प्रत्याशी संजय सरावगी ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2010 और 2015 में भी वे जनता का भरोसा जीतने में सफल रहे। 2015 के चुनाव में आरजेडी के ओमप्रकाश खेरिया दूसरे स्थान पर रहे, जबकि तीसरे और चौथे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी आए थे। यही नहीं, CPI प्रत्याशी भी यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में नाकाम रहे।
Darbhanga Gramin Vidhansabha: जातीय समीकरण और राजनीतिक परंपरा से तय होता है विजेता
2020 के विधानसभा चुनाव ने एक बार फिर साबित कर दिया कि दरभंगा सीट बीजेपी के लिए ‘सेफ ज़ोन’ है। इस चुनाव में संजय सरावगी ने आरजेडी के अमरनाथ गामी को 10,639 वोटों के बड़े अंतर से हराया। सरावगी को 84,144 वोट मिले, जबकि आरजेडी उम्मीदवार को 73,505 वोटों पर संतोष करना पड़ा। वोट शेयर की बात करें तो महागठबंधन को 43.08 प्रतिशत और एनडीए को 49.32 प्रतिशत वोट मिले। तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी शंकर कुमार झा 2,755 वोटों के साथ रहे।
जातीय समीकरण
दरभंगा सीट का जातीय समीकरण बेहद जटिल है। यहां मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा राजपूत, भूमिहार, कोइरी, कुर्मी, पासवान और यादव भी निर्णायक संख्या में मौजूद हैं। यही वजह है कि यहां का हर चुनाव सिर्फ उम्मीदवार की लोकप्रियता पर नहीं बल्कि जातीय समीकरणों पर भी निर्भर करता है। इस सीट पर कुल 2.96 लाख मतदाता हैं, जिसमें 1.58 लाख पुरुष (53.3%), 1.37 लाख महिला (46.5%) और 15 ट्रांसजेंडर (0.005%) वोटर शामिल हैं।
2025 की चुनौती
बीजेपी के लिए यह सीट अभी तक ‘सुनिश्चित विजय’ वाली मानी जाती रही है, लेकिन बदलते राजनीतिक समीकरणों और गठबंधनों की रणनीति इस सीट पर मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है। खासकर मुस्लिम और यादव मतदाताओं के ध्रुवीकरण से महागठबंधन यहां बीजेपी की चुनौती बढ़ा सकता है। वहीं संजय सरावगी की व्यक्तिगत लोकप्रियता, संगठनात्मक मजबूती और मोदी फैक्टर अभी भी बीजेपी के पक्ष में भारी पड़ता दिख रहा है।
Alinagar Vidhansabha 2025: बदलते समीकरण और 2025 के चुनावी रण में संभावनाओं का विश्लेषण
दरभंगा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में न केवल बीजेपी की ताकत का प्रतीक है बल्कि यह बताती है कि जातीय गणित और विकास मुद्दों के संतुलन के बीच मतदाता किसे चुनते हैं। आने वाले चुनाव में यह देखना अहम होगा कि क्या बीजेपी अपनी पकड़ बरकरार रखती है या विपक्ष यहां कोई नई कहानी लिख पाता है।






















