Katoria Vidhan Sabha 2025: बांका जिले की कटोरिया विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 162) बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाती रही है। यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है और यहां का चुनावी इतिहास हमेशा से उतार-चढ़ाव वाला रहा है। कटोरिया की जनता ने कभी किसी एक दल को लगातार मौका नहीं दिया, यही कारण है कि इस सीट पर राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है।
चुनावी इतिहास
कटोरिया विधानसभा का पहला चुनाव 1957 में हुआ था, जब कांग्रेस उम्मीदवार पीरू मांझी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद कांग्रेस ने यहां कई बार जीत का स्वाद चखा, लेकिन 1990 की जीत के बाद से पार्टी इस सीट पर वापसी नहीं कर पाई। यह तथ्य कांग्रेस की इस क्षेत्र में कमजोर पकड़ को दर्शाता है।
पिछले तीन दशकों में कटोरिया का राजनीतिक समीकरण मुख्य रूप से बीजेपी और आरजेडी के बीच ही घूमता रहा है। 2010 के चुनाव में बीजेपी की निक्की हेम्ब्रम ने जीत दर्ज की थी, वहीं 2015 में आरजेडी की स्वीटी सीमा हेम्ब्रम ने उन्हें शिकस्त दी थी। उस चुनाव में स्वीटी को 54,760 वोट (41.35%) मिले थे, जबकि निक्की को 44,423 वोट (33.55%) ही हासिल हुए।
Dhoraiya Vidhan Sabha 2025: बदलते समीकरणों के बीच निर्णायक भूमिका में जातीय और राजनीतिक संतुलन
लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में समीकरण बदले और एक बार फिर बीजेपी की निक्की हेम्ब्रम ने वापसी की। उन्होंने आरजेडी उम्मीदवार स्वीटी सीमा हेम्ब्रम को 6,421 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, निक्की हेम्ब्रम को 74,785 वोट मिले, जबकि स्वीटी को 68,364 वोट ही मिल पाए। इस नतीजे ने साफ किया कि यहां की राजनीति मतदाताओं के मूड के हिसाब से बदलती रहती है।
जातीय समीकरण
कटोरिया का चुनाव सिर्फ उम्मीदवारों और पार्टियों की जंग नहीं बल्कि जातीय समीकरणों पर भी गहराई से आधारित है। यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। इसके अलावा भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी और रविदास जातियों की भी मजबूत उपस्थिति है। 2011 की जनगणना के अनुसार, कटोरिया की कुल आबादी 3,71,646 है, जिसमें अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 9.18% और अनुसूचित जनजातियों की 12.08% है। वहीं 2019 की मतदाता सूची के अनुसार इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,48,825 मतदाता दर्ज हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के चुनाव में भी यहां मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच ही रहेगा। मुस्लिम और दलित वोटों का झुकाव आरजेडी की ओर देखा जाता है, जबकि सवर्ण और कुछ पिछड़ी जातियों का झुकाव बीजेपी की ओर रहता है। यही समीकरण कटोरिया को बिहार की उन सीटों में शामिल करता है जहां हर बार चुनावी तस्वीर दिलचस्प हो जाती है।






















