बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) के बीच दरभंगा का केवटी विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक बहस का नया केंद्र बन गया है। भाजपा सांसद अशोक कुमार यादव के बयान ने सियासी हलचल मचा दी है। अपने विवादित वक्तव्य पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उनका मकसद किसी समुदाय को निशाना बनाना नहीं था, बल्कि यह बताना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों के लिए काम किया है।
दरअसल, अशोक कुमार यादव ने केवटी में चुनावी सभा के दौरान कहा था कि जब विधानसभा चुनाव होते हैं तो ऐसा लगता है जैसे “हम पाकिस्तान की सीमा पर जाकर लड़ रहे हों।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की सभी योजनाओं का लाभ हर वर्ग को दिया जाता है—चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना हो, उज्ज्वला योजना हो या जनधन खाते। “हम सभी के लिए काम करते हैं, फिर भी कुछ विशुद्ध-मुस्लिम बूथों पर हमें एक भी वोट नहीं मिलता। अगर किसी वर्ग को प्रधानमंत्री मोदी से इतनी ही नफरत है, तो फिर विकास की योजनाओं का लाभ भी न लें।
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हालांकि, इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साधा और इसे सांप्रदायिक राजनीति का उदाहरण बताया। राजद और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह बयान बिहार की गंगा-जमुनी तहज़ीब के खिलाफ है और भाजपा लगातार धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर, अशोक कुमार यादव ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनके शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मैंने केवल इतना कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार सभी वर्गों के लिए काम कर रहे हैं। जब हम सबका विकास करते हैं, तो उम्मीद रखते हैं कि सभी वर्गों का समर्थन भी हमें मिलेगा। लेकिन दुर्भाग्य है कि कुछ जगहों पर राजनीतिक दल धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगते हैं। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।”






















