Maharajganj Vidhansabha 2025: बिहार की सियासत में महराजगंज विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 112) हमेशा से सुर्खियों में रही है। सिवान जिले की यह महत्वपूर्ण सीट न सिर्फ राजनीतिक दलों की साख से जुड़ी रही है, बल्कि इसके नतीजे पूरे इलाके का राजनीतिक माहौल तय करते रहे हैं। इतिहास पर नजर डालें तो यहां कभी कांग्रेस, तो कभी जनता दल और जेडीयू का दबदबा रहा है। कांग्रेस को अब तक केवल दो बार जीत मिली है जबकि जेडीयू ने यहां चार बार परचम लहराया है। जनता पार्टी तीन बार और जनता दल दो बार इस सीट पर विजयी रह चुकी है।
चुनावी इतिहास
अगर पिछले दो दशकों के चुनावी परिणाम देखें तो यह साफ दिखाई देता है कि महराजगंज सीट पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) का गढ़ रहा है। फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 में जेडीयू उम्मीदवार दामोदर सिंह ने लगातार जीत दर्ज की। हालांकि, उनके निधन के बाद 2014 में उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा उम्मीदवार डॉक्टर देवरंजन सिंह ने राजद प्रत्याशी मानिकचंद राय को 4150 मतों से शिकस्त दी। यह पहली और आखिरी बार था जब भाजपा ने यहां से जीत हासिल की।
Goreyakothi Vidhansabha 2025: बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण और उम्मीदवारों का दबदबा
2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पूरा दमखम लगाया लेकिन जेडीयू उम्मीदवार हेम नारायण साह ने भाजपा प्रत्याशी कुमार देवरंजन सिंह को 20 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की। साह को 68,459 वोट मिले जबकि भाजपा उम्मीदवार को 48,167 वोट ही हासिल हो पाए।
हालांकि, 2020 के चुनाव में सियासी समीकरण पलट गया। इस बार कांग्रेस के विजय शंकर दूबे ने बड़ी बाज़ी मारते हुए जेडीयू के हेम नारायण साह को 1976 वोटों के मामूली अंतर से हराया। यह नतीजा बताता है कि महराजगंज सीट पर मतदाताओं का मूड हर बार बदलता रहा है और यहां का चुनावी गणित बेहद पेचीदा है।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ब्राह्मण, राजपूत और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनके साथ ही रविदास और पासवान समाज भी मजबूत संख्या में मौजूद है। महराजगंज विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या मुख्य रूप से ग्रामीण है। यहां 94.09 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि महज 5.91 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं। अनुसूचित जाति (SC) के लोगों की हिस्सेदारी 10.84 फीसदी है और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी मात्र 1.3 फीसदी है।
ऐसे में महराजगंज विधानसभा का इतिहास और सामाजिक समीकरण बताता है कि यहां हर बार कड़ा मुकाबला होता है और छोटे-से-छोटे मतों का फर्क भी सत्ता की तस्वीर बदल देता है। 2025 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस, जेडीयू और बीजेपी—तीनों दल अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेंगे। अब देखना होगा कि यह सीट फिर से जेडीयू के गढ़ के रूप में उभरती है या कांग्रेस अपनी जीत की परंपरा आगे बढ़ाती है।






















