बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमाने वाली है। 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य में अपनी जड़ें और मजबूत करने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। दिल्ली में शानदार जीत के बाद बीजेपी अब बिहार को फतह करने की तैयारी में जुट गई है। इस कड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 29-30 मार्च को बिहार के दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरे को लेकर न सिर्फ बीजेपी बल्कि पूरे एनडीए (NDA) गठबंधन में हलचल मच गई है।
शाह की एंट्री से बिहार में सियासी हलचल तेज
अमित शाह के इस दौरे को सिर्फ एक सामान्य यात्रा नहीं, बल्कि चुनावी बिगुल फूंकने के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, शाह अपने दौरे में बिहार के शीर्ष भाजपा नेताओं और एनडीए सहयोगियों के साथ बैठकें करेंगे और आगामी चुनाव की रणनीति तय करेंगे। लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अब बीजेपी विधानसभा चुनाव में भी वैसी ही सफलता दोहराना चाहती है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू, बीजेपी और अन्य सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में शाह का यह दौरा गठबंधन में एकजुटता का संदेश देने के लिए अहम माना जा रहा है।
एनडीए की एकता पर रहेगा फोकस
अमित शाह अपने दो दिवसीय दौरे में इस बात पर जोर देंगे कि एनडीए के सभी दलों को एक साथ रहकर और एक-दूसरे के लिए प्रचार कर चुनाव लड़ना होगा। लोकसभा चुनाव में बिहार से लेकर आंध्र प्रदेश तक एनडीए के घटक दलों ने एकजुटता दिखाई थी और इसी रणनीति से बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ था। बिहार विधानसभा चुनाव में भी इसी फॉर्मूले पर काम किया जाएगा। शाह एनडीए नेताओं को इस बात के लिए तैयार करेंगे कि वे चुनाव प्रचार में एक-दूसरे का समर्थन करें और साझा रैलियां करें।
बिहार में शाह का चुनावी मंत्र: “मिशन 2025”
शाह के इस दौरे का असली मकसद बिहार में “मिशन 2025” की नींव रखना है। बीजेपी की कोशिश रहेगी कि इस बार विधानसभा में अपनी स्थिति मजबूत की जाए और सत्ता की कमान अपने हाथ में ली जाए। इसीलिए अमित शाह अपनी चुनावी रणनीति के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को बूथ स्तर तक तैयारी करने के निर्देश दे सकते हैं। इसके अलावा, बिहार के राजनीतिक हालात की गहरी समीक्षा भी होगी ताकि कमजोर कड़ियों को दुरुस्त किया जा सके।