Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से ठीक पहले पटना हाईकोर्ट ने महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए बड़ा झटका दिया है। मोहनिया से आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन और घोसी से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के प्रत्याशी राकेश कुमार सिंह की नामांकन याचिका खारिज कर दी गई है। यह फैसला न्यायमूर्ति ए. अभिषेक रेड्डी की एकलपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दोनों प्रत्याशी अब चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव याचिका दायर कर परिणाम को चुनौती दे सकते हैं, लेकिन फिलहाल चुनाव प्रक्रिया में दखल नहीं दिया जा सकता।
इस फैसले ने एक तरफ जहां तेजस्वी यादव और पशुपति पारस की रणनीति को झटका दिया है, वहीं दोनों दलों के स्थानीय समीकरणों पर भी असर डाल सकता है। मोहनिया सीट पर श्वेता सुमन को तेजस्वी यादव का करीबी माना जाता है, जबकि घोसी में राकेश कुमार सिंह आरएलजेपी के मजबूत उम्मीदवारों में गिने जाते थे।
मामले की सुनवाई के दौरान दोनों उम्मीदवारों की ओर से अधिवक्ताओं ने दलील दी कि निर्वाची पदाधिकारी ने कानून की अनदेखी करते हुए नामांकन रद्द किया। श्वेता सुमन के नामांकन को जाति प्रमाणपत्र की वैधता पर सवाल उठाते हुए रद्द किया गया था, जबकि राकेश कुमार सिंह का नामांकन आपराधिक इतिहास वाले कॉलम में “टिक” नहीं लगाने के कारण निरस्त किया गया। दोनों के वकीलों ने कहा कि यह “तकनीकी भूल” है, जिसे सुधार का अवसर दिया जाना चाहिए था।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी.के. शाही और चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट में तर्क दिया कि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मतपत्र छप चुके हैं और कई क्षेत्रों में मतदान भी आरंभ हो गया है। ऐसे में न्यायालय किसी भी स्थिति में चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। उनका कहना था कि चुनाव आयोग के नियमों के तहत नामांकन संबंधी विवाद केवल चुनाव परिणाम के बाद ही चुनौती योग्य होते हैं।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद स्पष्ट किया कि यह मामला अब चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें हस्तक्षेप लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विपरीत होगा। न्यायालय ने कहा कि आवेदक चाहें तो चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद election petition दाखिल कर सकते हैं।





















