बिहार में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है। कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों की बढ़ती मांगों के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। तेजस्वी ने मंच से दो टूक कह दिया कि इस बार टिकट सिर्फ “ठोक-ठाककर” ऐसे प्रत्याशियों को दिया जाएगा, जो जनता के बीच काम कर चुके हों और पार्टी की विचारधारा को मजबूत करें।
सीटों की जंग: कौन क्या चाहता है?
- कांग्रेस – 70 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं।
- वीआईपी (मुकेश सहनी) – एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर नजर, 40+ सीटें जीतने और डिप्टी सीएम बनने का दावा।
- वाम दल – 2020 के मुकाबले ज्यादा सीटों की उम्मीद।
तेजस्वी यादव ने मंच से साफ कह दिया कि 243 सीटों में सबको टिकट नहीं मिल सकता और अब किसी नेता के कहने पर टिकट बंटवारा नहीं होगा। यह बयान कांग्रेस और वीआईपी के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है, जो सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
तेजस्वी का सीधा संदेश: टिकट ‘पैरवी’ से नहीं, परफॉर्मेंस से मिलेगा
तेजस्वी यादव ने खुले मंच से कांग्रेस और वीआईपी को इशारों-इशारों में सख्त चेतावनी दे दी। उन्होंने कहा कि “कोई भी नेता कहे कि इसे टिकट देना, उसे टिकट देना – ऐसा नहीं होगा। तेजस्वी पर सरकार बनाने की जिम्मेदारी है, और आरजेडी ऐसे ही टिकट नहीं बांटेगी।”
इस बयान से साफ है कि RJD अपनी शर्तों पर ही गठबंधन में सीटों का बंटवारा करेगी। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, जो इस बार बैकफुट पर नहीं रहना चाहती और अपनी पुरानी 70 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है।
कांग्रेस का पलटवार: “गठबंधन में कोई छोटा-बड़ा भाई नहीं”
RJD की इस रणनीति से कांग्रेस पूरी तरह असहज दिख रही है। बिहार कांग्रेस के नेताओं ने बयान दिया है कि गठबंधन में कोई छोटा-बड़ा भाई नहीं होता और इस बार वे अपनी मजबूत स्थिति में रहेंगे। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी बिहार में लगातार दौरे कर रहे हैं, जिससे यह साफ है कि कांग्रेस यहां कोई कमजोर सौदा नहीं करना चाहती।
वीआईपी और मुकेश सहनी की बढ़ती महत्वाकांक्षा
वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने भी अपनी महत्वाकांक्षा खुलकर जाहिर कर दी है। वे 40 से ज्यादा सीटें जीतने और डिप्टी सीएम बनने तक का दावा कर चुके हैं। हालांकि, आरजेडी के रुख को देखते हुए उनके लिए यह लड़ाई आसान नहीं होगी।
गठबंधन में बिखराव के संकेत?
बिहार चुनाव नजदीक आते ही महागठबंधन के भीतर सीटों की यह खींचतान कहीं इसका नुकसान न कर दे। कांग्रेस और वीआईपी के साथ-साथ वाम दलों की भी अपनी-अपनी उम्मीदें हैं, लेकिन RJD सीट बंटवारे में ज्यादा उदारता दिखाने के मूड में नहीं है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या महागठबंधन इस खींचतान से निकल पाएगा, या फिर यह बिखराव की ओर बढ़ रहा है? क्या तेजस्वी का सख्त रुख कांग्रेस और वीआईपी को अलग कर सकता है? चुनावी मौसम में हर दिन बदलते समीकरणों के बीच आने वाले हफ्ते बिहार की राजनीति में बड़े उलटफेर का संकेत दे सकते हैं।