बिहार की राजधानी पटना के ज्ञान भवन में 12वें बिहार उद्यमिता सम्मेलन 2025 का भव्य आयोजन हुआ, जिसने राज्य में स्टार्टअप और उद्यमिता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प लिया। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में “एक ब्लॉक, एक उद्यमी” मिशन की शुरुआत की गई, जिसमें राज्य के 534 ब्लॉकों से आए युवा और महिला उद्यमियों को प्रखंड स्तरीय उत्कृष्ट व्यवसाय एवं स्टार्टअप के लिए सम्मानित किया गया।
इस मंच से उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने घोषणा की कि अगर बिहार उद्यमी संघ (BEA) कोई ठोस सुझाव देता है, तो सरकार उद्यमियों के लिए नीतियों में आवश्यक संशोधन करने के लिए तैयार है। इस बयान से बिहार में स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती देने की सरकार की प्रतिबद्धता साफ झलकती है।

बिहार की अर्थव्यवस्था में नया सवेरा
बिहार, जिसे अक्सर पिछड़ा राज्य माना जाता था, अब एक सशक्त स्टार्टअप इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है। गांव-गांव तक से आए उद्यमियों की भागीदारी ने यह साबित कर दिया कि राज्य अब केवल पारंपरिक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि टेक्नोलॉजी, ई-कॉमर्स, एग्री-टेक और अन्य आधुनिक उद्योगों की ओर भी अग्रसर है।
इस मौके पर बिहार के पांच स्टार्टअप्स को भारत सरकार की मिट्टी 2.0 टाइट स्कीम के तहत 67 लाख रुपये की फंडिंग का चेक उद्योग मंत्री द्वारा दिया गया। यह निवेश बिहार में नवाचार और स्टार्टअप कल्चर को और मजबूती देने वाला साबित होगा।
उद्योग जगत के दिग्गजों की मौजूदगी
इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के कई बड़े नाम शामिल हुए, जिनमें शशांक प्रिया (सदस्य, सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स, भारत सरकार), बी.के. सिन्हा (सीजी, नाबार्ड), पंकज सिंह (प्रेसिडेंट, बिहार उद्यमी संघ), डॉ. के.पी. रंजन (डायरेक्टर, DNS RICM, भारत सरकार) और अभिषेक कुमार (प्रेसिडेंट, भारतीय उद्यमी संघ) शामिल थे। इन सभी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और बिहार के स्टार्टअप इकोसिस्टम के महत्व को रेखांकित किया।
बिहार में उद्योगों की बढ़ती ताकत
उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि 2005 में बिहार का बजट मात्र 23,000 करोड़ रुपये था, जो कि 2025 में बढ़कर 3,17,000 करोड़ रुपये हो चुका है। यह इस बात का प्रमाण है कि बिहार की आर्थिक प्रगति सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर संभव कदम उठा रही है ताकि बिहार में उद्यमिता और उद्योगों को बढ़ावा मिले। इस दौरान बिहार उद्यमी संघ के प्रयासों की भी सराहना की गई, जिसने जमीनी स्तर पर उद्यमिता को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बिहार में माइग्रेशन को रोकने की रणनीति
कार्यक्रम में शशांक प्रिया ने कहा कि बिहार में 14 करोड़ से अधिक की आबादी है और अगर यहां ग्रामीण स्तर पर उत्पादन और खपत को बढ़ावा दिया जाए, तो माइग्रेशन की समस्या को कम किया जा सकता है। उन्होंने बिहार उद्यमी संघ के कार्यों की भी सराहना की और कहा कि यहां स्टार्टअप्स के विकास की असीम संभावनाएं हैं।
17 स्टार्टअप्स को मिला बिहार एंटरप्रेन्योरशिप अवार्ड
इस कार्यक्रम में 17 प्रमुख स्टार्टअप्स को बिहार एंटरप्रेन्योरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया। इनमें पंकज कुमार, अनिल कुमार, प्रिंस शुक्ला, समर अफजल, भूपेश कुमार आकाश, संत कुमार, नरेंद्र मिश्रा, आंचल कुमारी, अर्पित किशन, राकेश कुमार, अरमान अली, मनिंदर सिंह, निरंजन सिंह, सुजीत कुमार, छोटू कुमार झा, मृत्युंजय कुमार एवं कृपा शंकर शरण के नाम शामिल हैं।
बिहार उदय मिशन और स्टार्टअप पॉलिसी का योगदान
भारतीय उद्यमी संघ के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने इस मौके पर कहा कि बिहार में उद्यमिता की इस यात्रा की शुरुआत 2012 में “बिहार उदय मिशन” से हुई थी। इसके बाद, 2016 में मुख्यमंत्री द्वारा स्टार्टअप पॉलिसी लागू की गई, जिससे स्टार्टअप्स को आर्थिक और तकनीकी सहायता मिलनी शुरू हुई।
कोरोना महामारी के बाद कृषि संवाद कार्यक्रम के जरिए एग्री-स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया गया, जिससे बिहार के किसानों और ग्रामीण व्यवसायियों को मजबूती मिली।
स्टार्टअप्स और कंपनियों ने बढ़-चढ़कर लिया भाग
इस सम्मेलन में कई कंपनियों ने अपने स्टॉल लगाकर अपनी सेवाएं और उत्पाद प्रस्तुत किए। इनमें Pay & Serve, Secure FinTech, Go For Ed, Aloka Candles, भारतीय कृषि, Chicken Wala, खेती-बाड़ी, परंपरागत फूड और MSG 24 जैसी कंपनियों ने भाग लिया और बिहार में संभावनाओं की झलक दिखाई।
उद्यमियों का जोश और बिहार की नई उड़ान
इस सम्मेलन में हजारों उद्यमी बिहार के दूरदराज जिलों से सफर कर पहुंचे। किशनगंज और पूर्णिया जैसे सुदूर जिलों से भी लोग रातभर यात्रा कर इस कार्यक्रम में शामिल हुए, जो यह दर्शाता है कि बिहार में उद्यमिता की नई लहर चल चुकी है।