बिहार में बाढ़ से सुरक्षा तथा सिंचाई सुविधा के विस्तार के लिए जल संसाधन विभाग, बिहार द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनाओं को एकीकृत कर तैयार ‘बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना’ (BWSIMP) को कल मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिल गई है। मिथिला के विभिन्न जिलों सहित पूरे राज्य के करोड़ों लोगों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने वाली इस व्यापक, समेकित, बहुआयामी एवं अतिमहत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी देने के लिए जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया है।
परियोजना का उद्देश्य राज्य में बेहतर जल प्रबंधन के जरिये बाढ़ के प्रकोप को कम करना, अधिक प्रभावी सिंचाई प्रणाली का विकास करना, तथा बाढ़ एवं सुखाड़ से उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों एवं क्षमता में वृद्धि करना है। इसमें बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए जहां प्रमुख नदियों के जलप्रवाह को नियंत्रित करने तथा नई तकनीक का उपयोग कर तटबंधों को ऊंचा एवं सुदृढ़ करने की कई योजनाओं को शामिल किया गया है, वहीं सूखा से प्रभावित होने वाले जिलों में सिंचाई क्षमता के सृजन, पुनर्स्थापन एवं आधुनिकीकरण की कई योजनाएं शामिल की गई हैं।
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परियोजना की कुल अनुमानित लागत राशि ₹4415.00 करोड़ है, जिसमें 30 प्रतिशत राशि, अर्थात् ₹1324.50 करोड़ बिहार सरकार उपलब्ध कराएगी, जबकि 70 प्रतिशत राशि, अर्थात् ₹3090.50 करोड़ का ऋण विश्व बैंक से लिया जाएगा। परियोजना को चालू वित्त वर्ष यानी 2025-2026 से प्रारंभ कर 7 वर्षों में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इस परियोजना में बागमती बायां तटबंध (सिरनिया से फुहिया तक 73.44 किमी) के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं पक्कीकरण की योजना को भी शामिल किया गया है, जिससे मिथिला की बड़ी आबादी को बागमती नदी की बाढ़ से दीर्घकालिक सुरक्षा मिल जाएगी। इसी तरह कोसी पूर्वी तटबंध (0.00 से 65.00 किमी) पर 25 स्परों के पुनर्स्थापन, विस्तारित सिकरहट्टा-मंझारी तटबंध के सुदृढ़ीकरण, पक्कीकरण और स्पर निर्माण (14.00 किमी से 26.275 किमी तक) आदि जैसी कई अन्य योजनाओं को भी इसमें शामिल किया गया है, जिससे क्षेत्र की बड़ी आबादी को बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी।
इसके अलावा कोसी, गंडक और सोन बराजों के सुदृढ़ीकरण, पश्चिमी कोसी सिंचाई योजनाओं के आधुनिकीकरण, उत्तर बिहार की प्रमुख नहरों के सिल्ट का प्रबंधन, सोन पश्चिमी मुख्य नहर (00 से 32.5 किमी तक) के आधुनिकीकरण, सारण मुख्य नहर (17 किमी से 35 किमी तक) की लाइनिंग सहित कई महत्वाकांक्षी सिंचाई योजनाओं को भी इसमें शामिल किया जाना है, जिनसे कई जिलों में सिंचाई सुविधा का व्यापक विस्तार होगा और कृषि उत्पादन बढ़ने से लाखों किसानों की आय में वृद्धि होगी।