बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) से पहले सामाजिक संतुलन साधने की दिशा में एक और अहम कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने ‘राज्य मछुआरा आयोग’ के गठन की घोषणा कर दी है। इससे पहले सरकार सवर्ण और अनुसूचित जाति वर्गों को साधने के लिए आयोगों का गठन कर चुकी है। अब मछुआरा समुदाय को भी प्रतिनिधित्व देते हुए यह नया आयोग बनाया गया है।
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, ‘पूर्वी चंपारण के ललन कुमार’ को मछुआरा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि ‘बक्सर के अजीत चौधरी’ को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा आयोग में ‘समस्तीपुर के विद्या सागर’, ‘पटना के सैदपुर पहली गली के राजकुमार’, और ‘भागलपुर की रेणु सिंह’ को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।

राज्य मछुआरा आयोग का उद्देश्य मछुआरों के संरक्षण, कल्याण, आर्थिक विकास और सुरक्षा से जुड़े मामलों की निगरानी और अन्वेषण करना है। आयोग सरकार को समय-समय पर अपनी अनुशंसाएं देगा ताकि मछुआरा समुदाय की समस्याओं का समाधान प्रभावी ढंग से किया जा सके।
आयोग के गठन की जिम्मेदारी पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को सौंपी गई है, जिसने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। विभाग के अनुसार, पटना, भागलपुर, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण और बक्सर जैसे जिलों से प्रतिनिधित्व देकर आयोग को सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन देने का प्रयास किया गया है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि मछुआरा समुदाय के वोट बैंक को मजबूत किया जा सके। सरकार की यह रणनीति सवर्ण, अनुसूचित जाति और अब मछुआरा वर्ग को साथ लाकर व्यापक सामाजिक समीकरण बनाने की ओर इशारा करती है।