बिहार में सरकारी जमीन (Bihar Government Jamin) पर अवैध कब्जे और उसके गैरकानूनी हस्तांतरण के मामले लंबे समय से प्रशासन और सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। गांव से लेकर शहरी इलाकों तक सरकारी भूमि को निजी संपत्ति में बदलने का खेल इतना संगठित हो चुका है कि इसमें सिर्फ भू-माफिया ही नहीं, बल्कि कुछ भ्रष्ट सरकारी कर्मियों की मिलीभगत भी सामने आती रही है। अब राज्य सरकार ने इस पूरे तंत्र पर निर्णायक प्रहार करने का मन बना लिया है।
राज्य के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस दिशा में सख्त रुख अपनाते हुए सभी आयुक्तों, जिलाधिकारियों, अनुमंडल पदाधिकारियों और अंचल अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने अपने पत्र में सरकारी भूमि के किसी भी प्रकार के अवैध हस्तांतरण पर तत्काल रोक लगाने और ऐसे मामलों में शामिल भू-माफिया के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब राज्य में विकास परियोजनाओं और सामाजिक योजनाओं के लिए सरकारी जमीन की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।
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मुख्य सचिव के पत्र में इस बात पर गंभीर चिंता जताई गई है कि हाल के वर्षों में कई ऐसे मामले उजागर हुए हैं, जिनमें सरकारी भूमि का अवैध दाखिल-खारिज कर निजी व्यक्तियों के नाम जमाबंदी तैयार कर दी गई। कई बार क्षेत्रीय स्तर के पदाधिकारियों द्वारा नियमों को दरकिनार करते हुए सरकारी जमीन को प्रभावशाली व्यक्तियों या भू-माफिया के पक्ष में स्थानांतरित कर दिया गया। सरकार ने इसे न सिर्फ अनियमित बल्कि पूरी तरह अनैतिक करार दिया है।
सिर्फ यही नहीं, बल्कि उन जमीनों की भी अवैध खरीद-बिक्री के मामले सामने आए हैं, जो वासभूमिहीन और पात्र परिवारों को आवंटित की गई थीं। गैर मजरूआ खास, गैर मजरूआ आम, सीलिंग की अधिशेष भूमि और बिहार विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति वासभूमि अभिघृति अधिनियम, 1947 के तहत दी गई जमीनों को भी बाजार में बेचे जाने के प्रमाण मिले हैं। ऐसे मामलों ने सरकार की सामाजिक न्याय और भूमि सुधार की नीतियों पर भी सवाल खड़े किए हैं।
इन सभी तथ्यों की राज्य स्तर पर समीक्षा के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि यदि समय रहते सख्ती नहीं की गई, तो सरकारी भूमि का संरक्षण और जनहित से जुड़ी योजनाएं गंभीर खतरे में पड़ सकती हैं। इसी वजह से अवैध भू-हस्तांतरण के सभी मामलों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का फैसला लिया गया है। साथ ही, ऐसे मामलों में संलिप्त कर्मियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।















