बिहार की राजनीति में बीते कुछ दिनों से जिस ‘हिजाब विवाद’ (Bihar Hijab Controversy) को लेकर शोर मचा हुआ है, उस पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का बयान सामने आने के बाद बहस की दिशा बदलती दिख रही है। राज्यपाल ने साफ शब्दों में कहा कि इसे विवाद कहना ही दुखद है, क्योंकि यह कोई विवाद है ही नहीं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पिता समान बताते हुए कहा कि जिस तरह एक पिता अपनी बेटी को देखता है, उसी दृष्टि से इस पूरे घटनाक्रम को समझा जाना चाहिए।
दरअसल, 15 दिसंबर को आयुष चिकित्सकों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें नियुक्ति पत्र लेने पहुंचीं महिला डॉक्टर नुसरत परवीन हिजाब पहने हुई थीं। वीडियो में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें पहले हिजाब हटाने का संकेत देते हैं और फिर अपने हाथ से हिजाब को हल्का सा खींचते नजर आते हैं। इस दृश्य को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। राष्ट्रीय जनता दल ने वीडियो को वायरल किया और कई विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर सवाल खड़े किए। देखते ही देखते यह मामला बिहार की सीमाओं से निकलकर झारखंड, जम्मू-कश्मीर और यहां तक कि पाकिस्तान तक की चर्चाओं में शामिल हो गया।
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इसी पृष्ठभूमि में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का बयान आया है, जो इस पूरे विवाद को एक अलग ही कोण से देखता है। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री का बचाव नहीं कर रहे हैं, बल्कि इस बात से आहत हैं कि एक संवेदनशील पारिवारिक व्यवहार को राजनीतिक विवाद का रूप दे दिया गया। राज्यपाल के मुताबिक, नीतीश कुमार सभी को बेटी की तरह देखते हैं और यहां भी वही भाव था। उन्होंने साफ कहा कि पिता और बेटी के बीच के इस रिश्ते में किसी तरह का विवाद ढूंढना न सिर्फ गलत है, बल्कि दुख देने वाला भी है।
राज्यपाल ने डॉ नुसरत परवीन को सलाह दी कि वे बिना किसी दबाव या भ्रम के अपनी नौकरी जॉइन करें और अपने पेशेवर दायित्वों पर ध्यान दें। उनका कहना था कि इस मुद्दे पर राजनीति करना किसी के हित में नहीं है और इससे केवल सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सार्वजनिक जीवन में छोटी-छोटी घटनाओं को जिस तरह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, वह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं है।






















