Bihar Hijab Controversy: एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यक्रम के दौरान महिला चिकित्सक के हिजाब हटाने की कोशिश को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे को और आगे बढ़ाते हुए बुर्का पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग कर दी है। इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है, जिसमें धर्म, महिला अधिकार और सत्ता संतुलन एक-दूसरे से टकराते दिख रहे हैं।
बीजेपी नेता हरिभूषण ठाकुर बचौल और बिहार बीजेपी के मीडिया प्रभारी दानिश इकबाल जैसे नेताओं के बयान सामने आने के बाद यह मुद्दा तेजी से सियासी रंग लेने लगा। इन बयानों के जवाब में जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने खुलकर मोर्चा संभालते हुए कहा कि भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करने का अधिकार देता है और किसी भी समुदाय की परंपराओं पर रोक लगाना संवैधानिक भावना के खिलाफ है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हिजाब या किसी भी धार्मिक पहचान को राजनीति का हथियार बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
हिजाब विवाद : सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ तीन राज्यों में शिकायत
नीरज कुमार ने इस बहस को केवल वर्तमान विवाद तक सीमित न रखते हुए नीतीश कुमार के लंबे शासनकाल और उनके मुस्लिम समाज के प्रति किए गए कार्यों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि एक अकेली घटना के आधार पर मुख्यमंत्री के पूरे चरित्र और नीतियों का मूल्यांकन करना न्यायसंगत नहीं है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण, शिक्षा और सामाजिक विकास के लिए कई योजनाएं लागू की गईं, जिनका प्रभाव जमीन पर देखा जा सकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर नीतीश कुमार किस बात के लिए माफी मांगें।
जेडीयू प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला डॉक्टर नुसरत परवीन का बिहार में नौकरी करना या न करना उनका व्यक्तिगत अधिकार है। उन्होंने इस बात को खारिज किया कि नुसरत परवीन ने स्वास्थ्य विभाग को नौकरी न करने की कोई औपचारिक सूचना दी है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस मामले को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग देकर तूल दिया जा रहा है।
इस विवाद के बीच नीरज कुमार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज के लिए जो विकास की लकीर खींची है, क्या किसी अन्य नेता ने वैसा काम किया है। वक्फ संपत्तियों का विकास, कब्रिस्तानों की घेराबंदी और अल्पसंख्यकों के लिए चलाई गई योजनाएं न केवल बिहार बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल बनीं। उन्होंने चुनौती देते हुए पूछा कि उमर अब्दुल्ला बताएं कि उनकी कौन-सी योजना को देश के दूसरे राज्यों ने अपनाया।





















