बिहार के बक्सर सांसद और RJD नेता सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh RJD) ने राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग (Bihar Water Resources Department) पर भ्रष्टाचार (Corruption in Irrigation) का बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 20 साल में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण (Flood Control in Bihar) के नाम पर 80,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन नतीजा यह हुआ कि राज्य की सिंचाई क्षमता (Irrigation Capacity) में 25% की गिरावट आई है और बाढ़ग्रस्त क्षेत्र (Flood Affected Areas) बढ़ गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
सुधाकर सिंह ने बताया कि 2005 में बिहार में 12.5 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित थी, जो अब घटकर 9.5 लाख हेक्टेयर रह गई है। हर साल 4000 करोड़ रुपए बाढ़ नियंत्रण पर खर्च होने के बावजूद, बाढ़ की समस्या (Bihar Flood Problem) बढ़ रही है। सोन नहर प्रणाली (Son Canal System) और इंद्रपुरी बैराज (Indrapuri Barrage) जैसी योजनाएं बदहाल हैं। वाणसागर जलाशय (Vansagar Reservoir) से बिहार को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा।
“किसानों के नाम पर ठेकेदारों को मिला फायदा”
सुधाकर सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार किसानों के नाम पर बजट पास करती है, लेकिन पैसा सिर्फ ठेकेदारों (Contractors Looting Funds), अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं की जेब में जाता है। किसानों को समय पर पानी नहीं मिलता, जिससे फसलें बर्बाद हो रही हैं।
क्यों देरी से छोड़ा जाता है नहरों का पानी?
- पहले रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) (15 मई तक) नहरों में पानी छोड़ा जाता था, लेकिन अब तारीख 1 जून और फिर 15 जून तक बढ़ा दी गई है।
- इस देरी (Delay in Canal Water Release) के कारण किसान समय पर धान की रोपाई (Paddy Transplantation) नहीं कर पाते।
RJD की मांग: CBI जांच और तुरंत कार्रवाई
सुधाकर सिंह ने सरकार से ये मांगें की है कि 80,000 करोड़ रुपए के खर्च की उच्चस्तरीय जांच (High-Level Probe) हो। साथ ही 15 मई तक नहरों में पानी छोड़ने की व्यवस्था (Early Water Release System) बहाल की जाए। दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों (Corrupt Officials & Contractors) के खिलाफ कार्रवाई हो और मानसून से पहले (Pre-Monsoon Repairs) नहरों की मरम्मत पूरी की जाए।
चेतावनी: “अगर सरकार नहीं सुनी, तो होगा बड़ा आंदोलन”
RJD नेता ने कहा कि अगर सरकार किसानों की समस्याओं (Farmers’ Issues in Bihar) को नहीं सुनेगी, तो हम हर गांव और हर खेत में जन आंदोलन (Mass Protest) करेंगे। यह सिर्फ पानी का नहीं, बल्कि किसानों के अस्तित्व (Survival of Farmers) का सवाल है।