बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) विधायक आलोक मेहता ने राज्य की नीतीश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में क़ानून-व्यवस्था (Bihar Law and Order Crisis) की स्थिति लगातार गिरती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपराध को रोकने में विफल रही है और एनकाउंटर की आड़ में नियम-कानून को नजरअंदाज किया जा रहा है। मेहता ने चेतावनी देते हुए कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए कानून व्यवस्था का सही संचालन जरूरी है, न कि बिना प्रक्रिया और न्यायिक आदेशों के गोली चलाने की संस्कृति को बढ़ावा देना।
RJD विधायक ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पुलिस कार्रवाई संविधान और कानून के दायरे में होनी चाहिए। उनके अनुसार, एनकाउंटर होना कोई समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि इससे व्यवस्था और भी कमजोर होती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हुए न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाया जाए, न कि दबाव और डर की राजनीति चलाई जाए।
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इसी दौरान, राज भवन और प्रधानमंत्री आवास का नाम बदलने के मुद्दे पर भी उन्होंने केंद्र और बिहार सरकार पर निशाना साधा। आलोक मेहता ने कहा कि नाम बदलने की राजनीति केवल भावनाओं को भटकाने का तरीका है। उन्होंने कहा कि नाम बदलने से विकास नहीं आता, विकास के लिए नीति, नीयत और ईमानदार प्रशासन की जरूरत होती है। उनके अनुसार, देश में बढ़ती नफरत और विकृत होती सामाजिक भावना को पहले नियंत्रित करना आवश्यक है, तभी कोई सकारात्मक कदम सार्थक साबित होगा।
विधानसभा सत्र के दौरान तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति पर उठे सवालों को भी मेहता ने खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कोई नेता किसी निजी, पारिवारिक या जरूरी काम की वजह से अनुपस्थित रहा हो। इस विषय को अनावश्यक राजनीतिक रंग दिया जा रहा है जबकि यह साधारण और मानवीय परिस्थिति है।






















