Chirag Paswan: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। इसी बीच चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने गुरुवार, 9 अक्टूबर को एक आपात बैठक बुलाने का फैसला किया है। यह बैठक सुबह दस बजे पटना के व्हीलर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में होगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बैठक में बिहार चुनाव प्रभारी अरुण भारती, सह प्रभारी राजू तिवारी, सभी सांसद, प्रधान महासचिव, प्रदेश उपाध्यक्ष और विभिन्न प्रकोष्ठों के अध्यक्ष शामिल होंगे। बैठक में विधानसभा चुनाव की रणनीति, सीट बंटवारे और गठबंधन की स्थिति पर गहन चर्चा होने की संभावना है।
एनडीए में फिलहाल सीटों के तालमेल पर सहमति नहीं बन सकी है। चिराग पासवान की मांगें भाजपा नेतृत्व के लिए सिरदर्द बन गई हैं। सूत्रों की मानें तो चिराग कम से कम 43 सीटों पर दावा ठोक चुके हैं। इस दावे के पीछे उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे, साथ ही 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को आधार बताया है। चिराग की कोशिश है कि वे किसी भी सूरत में गठबंधन में अपनी स्थिति कमजोर नहीं होने दें।
हाल ही में दिल्ली में भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े से मुलाकात के बाद भी चिराग ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया। न सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और न ही मीडिया से बातचीत की। इससे सियासी हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या एनडीए में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। वहीं भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा की गई तस्वीरों में बताया कि बैठक में बिहार चुनाव को लेकर रचनात्मक बातचीत हुई है और सभी एनडीए सहयोगी बिहार की प्रगति के लिए एकजुट हैं।
चिराग पासवान की चुप्पी और लोजपा(आर) की इमरजेंसी मीटिंग को लेकर कई राजनीतिक अर्थ निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह बैठक केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि दबाव बनाने की कोशिश भी है। पार्टी के अंदर भी अब यह चर्चा है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो लोजपा(आर) अलग रास्ता चुन सकती है। हालांकि, अभी तक पार्टी ने गठबंधन से अलग होने का कोई संकेत नहीं दिया है।
विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सीट बंटवारे को लेकर जारी यह रस्साकशी बिहार की राजनीति में गर्माहट बढ़ा रही है। एनडीए के लिए चुनौती यह है कि वह कैसे चिराग को साधे और गठबंधन को एकजुट रखे। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि यह इमरजेंसी मीटिंग एनडीए के भीतर तालमेल को मजबूत करेगी या दरार को और गहरा।






















