बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान (Mahagathbandhan Clash) खुलकर सामने आ गई है। लालगंज विधानसभा क्षेत्र ने इस विवाद को और गहरा दिया है। कांग्रेस ने गुरुवार शाम लालगंज से आदित्य कुमार राजा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए पूर्व सांसद मुन्ना शुक्ला की बेटी को बुलाकर पार्टी का सिंबल दे दिया। आरजेडी प्रत्याशी सिंबल लेकर सीधे वैशाली रवाना हो गई हैं, जहां वह नामांकन दाखिल करेंगी।
अब यह स्पष्ट है कि लालगंज सीट पर महागठबंधन के दो सहयोगी दल कांग्रेस और RJD आमने-सामने हैं। स्थिति यह बन गई है कि या तो किसी एक उम्मीदवार को नामांकन वापस लेना होगा, या फिर यहां “फ्रेंडली फाइट” देखने को मिलेगी।

वैशाली सीट पर भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। यह सीट 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हिस्से में आई थी और संजीव सिंह ने यहां से पार्टी का झंडा बुलंद किया था। इस बार कांग्रेस ने दोबारा इस सीट पर दावा ठोका है, जबकि RJD ने अजय कुशवाहा को मैदान में उतार दिया है। इससे दोनों दलों में तनातनी और तेज हो गई है।
दरभंगा की जाले सीट पर भी महागठबंधन की एकजुटता की परीक्षा होती दिख रही है। कांग्रेस ने जहां नौशाद को उम्मीदवार बनाने की तैयारी की है, वहीं RJD की ओर से ऋषि मिश्रा को उतारने पर जोर दिया जा रहा है। पिछली बार कांग्रेस के अहमद उस्मानी यहां से मैदान में थे, लेकिन इस बार गठबंधन के अंदर समन्वय की कमी साफ नजर आ रही है।
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नरकटियागंज और वारसलीगंज जैसी सीटों पर भी स्थिति कम उलझी नहीं है। 2020 में नरकटियागंज कांग्रेस के खाते में रही थी और पार्टी इस बार फिर विनय वर्मा को टिकट देना चाहती है, लेकिन RJD यहां भी दावा ठोक रही है। वहीं नवादा की वारसलीगंज सीट पर कांग्रेस 2020 में सतीश सिंह को मैदान में उतार चुकी थी, पर अब RJD अशोक महतो की पत्नी को उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस इसे अपनी पारंपरिक सीट बताकर किसी भी हालत में छोड़ने को तैयार नहीं है।






















