बिहार की सियासत विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर गरमा गई है। शनिवार दोपहर राजधानी पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर महागठबंधन की अहम बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में कांग्रेस, राजद, वीआईपी और वाम दलों के शीर्ष नेता शामिल होंगे। सूत्रों की मानें तो बैठक का मुख्य एजेंडा सीट बंटवारे को अंतिम रूप देना है और इस पर महागठबंधन के भीतर लगभग सहमति बन चुकी है।
जानकारी के मुताबिक बैठक में कांग्रेस की ओर से पार्टी प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और वरिष्ठ नेता राजेश राम मौजूद रहेंगे, जबकि राजद की ओर से खुद तेजस्वी यादव रणनीति तैयार करेंगे। वीआईपी और लेफ्ट पार्टियों के प्रतिनिधि भी बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और माना जा रहा है कि इसमें सीटों की संख्या और उम्मीदवारों के चयन पर भी गहन चर्चा होगी।
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महागठबंधन की इस बैठक को बिहार की राजनीति में बेहद अहम माना जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से एनडीए की ओर से सीट बंटवारे की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है, ऐसे में विपक्षी गठबंधन पर भी दबाव है कि वह अपनी रणनीति स्पष्ट करे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि आज की बैठक में सहमति बन जाती है तो महागठबंधन चुनावी मैदान में मजबूत संदेश देने में सफल होगा।
सूत्रों के अनुसार सीट बंटवारे का फार्मूला लगभग तय हो चुका है, केवल कुछ क्षेत्रों में अंतिम सहमति बननी बाकी है। खासकर उन सीटों को लेकर मंथन होगा जहां महागठबंधन के घटक दलों का आधार आपस में टकराता है। हालांकि नेताओं का मानना है कि सामूहिक हित को देखते हुए सभी दल लचीला रुख अपनाने पर तैयार हैं।
तेजस्वी यादव इस बैठक के जरिए यह दिखाना चाहते हैं कि महागठबंधन पूरी तरह से एकजुट है और सीट बंटवारे को लेकर कोई मतभेद नहीं है। वहीं कांग्रेस भी अपने हिस्से में पर्याप्त सीटें चाहती है ताकि राज्य में अपनी सियासी जमीन मजबूत कर सके। लेफ्ट दल और वीआईपी जैसी छोटी पार्टियों को भी इस बार सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद है।
अगर बैठक में सहमति बनती है तो आने वाले दिनों में महागठबंधन औपचारिक रूप से सीटों की घोषणा कर सकता है। इससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा बल्कि जनता के बीच भी विपक्षी एकता का संदेश जाएगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की रणनीति तय करने वाली सबसे महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है।






















