बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन में गिरावट दर्ज की गई है, 2022-23 की तुलना में 2023-24 में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हुई है। पहली से पांचवीं कक्षा तक एक साल में 6 लाख बच्चे घट गए हैं, ये खुलासा शिक्षा मंत्रालय की तरफ से प्रधानमंत्री पोषण योजना के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की लेटेस्ट रिपोर्ट में किया गया है।
कहा जा रहा है कि अभिभावकों का झुकाव प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ा है, जहां बेहतर बुनियादी ढांचा और अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई का वादा किया जाता है। वहीं सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं जैसे शौचालय, पानी, और बैठने की व्यवस्था की कमी भी बच्चों की संख्या में कमी की बड़ी वजह हो सकती है। इधर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर अब भी चिंताएं बनी हुई हैं, जिससे कई परिवार बच्चों को प्राइवेट संस्थानों में भेज रहे हैं।
रिपोर्टस को लेकर बच्चों के परिजनों का कहना है कि ‘बेहतर शिक्षण सामग्री, नियमित शिक्षक उपस्थिति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। स्कूलों में सुविधाओं को बढ़ाना और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का उपयोग करना बच्चों और अभिभावकों का विश्वास बढ़ा सकता है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में शिक्षा के महत्व को लेकर अभिभावकों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा सकते हैं। सरकार और शिक्षा विभाग को इन मुद्दों पर ध्यान देकर सरकारी स्कूलों की छवि को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा।’
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