बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Politics) में मुस्लिम विधायकों की संख्या समय के साथ घटती-बढ़ती रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में 19 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, जो 2000 के चुनाव के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में जीते। 2000 में 29 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर 19 रह गई, जो 2015 के मुकाबले पांच कम है। यह संख्या 2010 के चुनाव के बराबर है। 2020 में RJD के टिकट पर सबसे ज्यादा 8 मुस्लिम विधायक जीते, जबकि जदयू और भाजपा के किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी ने जीत दर्ज नहीं की। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटों पर जीत हासिल कर मुस्लिम विधायकों की संख्या में दूसरा स्थान पाया।
आरजेडी ने इस चुनाव में 17 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 8 जीतने में सफल रहे। हालांकि, 2015 में आरजेडी के 11 मुस्लिम विधायक चुने गए थे। आरजेडी ने मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधित्व में बढ़त बनाए रखी, लेकिन संख्या में गिरावट आई। वहीं AIMIM ने अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज जैसी सीमांचल की सीटों पर जीत दर्ज की। 2015 में AIMIM ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार पार्टी ने 20 में से 16 टिकट मुस्लिम प्रत्याशियों को दिए, जिनमें से 5 ने जीत दर्ज की। सीमांचल क्षेत्र में AIMIM के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस और आरजेडी को चुनौती दी।
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कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 10 मुस्लिम उम्मीदवार थे। इनमें से सिर्फ 4 जीत सके, जो 2015 के मुकाबले दो कम हैं। दो कांग्रेस सीटें AIMIM के खाते में चली गईं, जहां कांग्रेस बीते दो दशकों से जीतती आ रही थी। सीपीआई (माले) के बलरामपुर से महबूब आलम और बसपा के चैनपुर से आजम खान ने भी जीत हासिल की। महबूब आलम महागठबंधन में सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने वाले उम्मीदवार रहे।
जदयू ने 11 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे, लेकिन कोई भी जीत दर्ज नहीं कर सका। 2015 में जदयू से 5 मुस्लिम विधायक जीते थे। जदयू के एकमात्र मुस्लिम मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज आलम भी अपनी सीट नहीं बचा सके। भाजपा ने किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया।
1951 में बिहार विधानसभा के पहले चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक चुने गए थे। 1985 में सबसे ज्यादा 34 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे, जब राज्य में 325 सीटें थीं। इसके बाद 1990 में संख्या घटकर 20 रह गई। 2015 में नीतीश कुमार और लालू यादव के गठबंधन से मुस्लिम विधायकों की संख्या 24 तक पहुंची, लेकिन इस बार यह घटकर 19 हो गई।
बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से ज्यादा है, जबकि 29 सीटों पर यह 20-30% के बीच है। बावजूद इसके, मुस्लिम विधायकों का प्रतिशत विधानसभा में कभी 10% से ज्यादा नहीं हो सका है।






















