बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए के भीतर असंतोष की आवाजें तेज होती जा रही हैं। पटना में जहां भाजपा नेताओं की बैठक चल रही है, वहीं गठबंधन के सहयोगी दलों में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। इसी कड़ी में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) का बयान सियासी हलचल पैदा करने वाला साबित हुआ है।

पटना में मीडिया से बात करते हुए मांझी ने कहा कि एनडीए में रहकर उनकी पार्टी और कार्यकर्ता खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने गठबंधन के शीर्ष नेताओं से हाथ जोड़कर अपील की कि उनकी पार्टी को नजरअंदाज न किया जाए। मांझी ने कहा कि जब चुनाव आयोग की बैठकों में ‘हम’ पार्टी के प्रतिनिधियों को बुलाया ही नहीं जाता, तो यह असमानता का संकेत है। उनका तर्क है कि पार्टी को मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा तभी मिलेगा, जब उसे उचित संख्या में सीटें दी जाएं।
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उन्होंने कहा, “हमने एनडीए से 15 से 18 सीटों की मांग की है। अगर हमें यह संख्या मिलती है, तो हम कम से कम 9 से 10 सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं, जिससे हमारी पार्टी को मान्यता प्राप्त दल का दर्जा मिल सकेगा।” मांझी ने यह भी दावा किया कि बिहार की करीब 80 से 90 विधानसभा सीटों पर ‘हम’ पार्टी के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए की कई बैठकों में मंच पर बड़े नेता थे, लेकिन भीड़ में शामिल ज्यादातर कार्यकर्ता उनकी पार्टी के थे।
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हालांकि मांझी ने साफ किया कि वे अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं। उन्होंने कहा कि, “अगर हमें चुनाव न भी लड़ना पड़े, तब भी हम एनडीए के साथ रहेंगे, क्योंकि हमारा उद्देश्य गठबंधन को मजबूत करना है, न कि तोड़ना।” दूसरी ओर, लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की नाराजगी पर मांझी ने कहा कि वे अपनी पार्टी के मुखिया हैं और अपनी रणनीति खुद तय करेंगे। उन्होंने कहा कि गठबंधन में सभी दलों को सम्मान और हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।






















