पटना की राजनीति इस समय गरमाई हुई है। बिहार भाजपा नेताओं की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में होने वाली बैठक पर राजद ने बड़ा हमला बोला है। राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने एनडीए को “डूबता जहाज़” करार देते हुए कहा कि जनता ने पहले ही उन्हें नकार दिया है, इसलिए ऐसी बैठकों का कोई राजनीतिक महत्व नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि एनडीए चाहे पटना में बैठक करे या दिल्ली में, जनता का भरोसा अब उनके साथ नहीं है। भाजपा और उसके सहयोगी दल बार-बार रणनीति बनाने में जुटे हैं, लेकिन आम जनता इनसे दूरी बना चुकी है। तिवारी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि “अब कोई भी इस डूबते जहाज़ पर सवार नहीं होना चाहता।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत माता के ख़िलाफ़ महागठबंधन के कार्यक्रम में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तिवारी ने अप्रत्याशित बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि किसी ने प्रधानमंत्री मोदी की मां के ख़िलाफ़ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया है तो उसे सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए। तिवारी ने कहा, “हम इसका समर्थन करते हैं कि अगर कोई इस तरह की गंदी भाषा का इस्तेमाल करता है तो उसे फांसी तक दी जानी चाहिए।” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि सियासी मतभेदों के बावजूद राजद नेता ने निजी और पारिवारिक अपमान को लेकर प्रधानमंत्री के पक्ष में कड़ा रुख अपनाया है।
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इसी बीच, एनडीए द्वारा 3 सितंबर को बुलाए गए बिहार बंद पर भी मृत्युंजय तिवारी ने तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह बंद किसी मायने का नहीं है क्योंकि इसका मकसद सिर्फ असली मुद्दों से ध्यान भटकाना है। उन्होंने कहा कि जनता “वोट छोड़ो, गद्दी छोड़ो” का नारा बुलंद कर रही है। उनका कहना है कि अगर राज्य सरकार ईमानदार है तो दोषियों को बेनकाब करे और उन्हें सज़ा दिलाए, लेकिन जनता को गुमराह करने के लिए बंद का सहारा लेना उनकी असफलता का प्रमाण है।






















