बिहार चुनाव 2025 की आहट के साथ ही NDA गठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान तेज हो गई है। ताजा विवाद का केंद्र बने हैं हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी और एलजेपी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान। मांझी के इशारों में दिए गए बयान ने सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए चिराग पासवान पर तीखे कटाक्ष किए। लेकिन अब इस बयान का पलटवार चिराग पासवान की पार्टी के खगड़िया सांसद राजेश वर्मा ने किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मांझी जैसे वरिष्ठ नेताओं को इस तरह की “बिकाऊ” और “मैनेजमेंट” वाली भाषा का प्रयोग शोभा नहीं देता।
राजेश वर्मा का पलटवार: “हमारे नेता ने सब खोकर सब पाया है”
राजेश वर्मा ने मांझी के बयान को कार्यकर्ताओं का अपमान बताया और कहा कि यदि भीड़ को आप बिकाऊ कहेंगे, तो यह जमीनी कार्यकर्ताओं की मेहनत का अपमान होगा। हमारे नेता चिराग पासवान ने सबकुछ खोकर वापस पाया है – पार्टी, पहचान और भरोसा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चिराग का बिहार की हर सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान, NDA को मजबूत करने वाला कदम है न कि उसे तोड़ने वाला।
माना जा रहा है कि विवाद असल में सीटों के बंटवारे से जुड़ा हुआ है। मांझी की पार्टी HAM के पास वर्तमान में चार विधायक हैं, जबकि एलजेपी(R) के पास फिलहाल कोई विधायक नहीं है, लेकिन जनता के बीच चिराग की लोकप्रियता और युवा समर्थन ने उन्हें रणनीतिक रूप से बेहद मजबूत बना दिया है। इससे पहले मुकेश सहनी भी चिराग को 243 सीटों पर लड़ने की चुनौती दे चुके हैं, वहीं मांझी ने ‘देह चमकाने’ और ‘मैनेजमेंट की राजनीति’ जैसे वाक्यों से संकेत दिया कि वे चिराग की बढ़ती लोकप्रियता से नाखुश हैं।
बिहार में गठबंधन राजनीति का सबसे अहम पहलू है – संकेतों की सियासत। मांझी का बयान भले ही अप्रत्यक्ष रहा हो, लेकिन राजेश वर्मा की प्रतिक्रिया ने उसे प्रत्यक्ष युद्ध में बदल दिया है। इससे ये भी साफ हो गया है कि अब एलजेपी(R) खेमे ने भी हर टिप्पणी का जवाब देने का मन बना लिया है।
राजेश वर्मा ने यह भी कहा कि हम सही समय पर सीट और क्षेत्र का ऐलान करेंगे, लेकिन चिराग जी किसी भी जाति या मजहब के नेता नहीं हैं – उनका फोकस बिहार है और बिहार First है।