एक दिसंबर से शुरू होने वाले 18वीं विधानसभा के प्रथम सत्र (Bihar Assembly Session 2025) की तैयारियां अब पूरी हो चुकी हैं। नए स्वरूप, नई तकनीक और नई राजनीति—तीनों ही पहलुओं के मिश्रण ने इस सत्र को विशेष बना दिया है। इस बीच राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विधानसभा की कार्यवाही से पहले विपक्ष को तीखी लेकिन व्यवस्थित नसीहत देते हुए माहौल को और भी दिलचस्प बना दिया है।
मंगल पांडेय ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिहार की जनता इस बार विपक्ष को साफ संकेत दे चुकी है कि नकारात्मक राजनीति नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि जनता अब ईमानदार और सार्थक विमर्श की उम्मीद करती है, इसलिए विपक्ष को सदन में सकारात्मक सुझाव देने चाहिए। उनका कहना था कि विपक्ष का असली काम सरकार की कमियों को रचनात्मक तरीके से सामने लाना है, न कि बेवजह कोलाहल मचाना। पांडेय ने खासकर राजद को संदेश देते हुए कहा कि वे नकारात्मक राजनीति छोड़कर सदन में सार्थक योगदान दें।
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सदन की कार्यवाही की बात करें तो पहला दिन नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण के साथ शुरू होगा। अगले दिन, यानी 2 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा, जबकि 3 दिसंबर को विस्तारित भवन के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें राज्यपाल अभिभाषण देंगे। 4 दिसंबर को अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और सरकार का जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। वहीं 5 दिसंबर को द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा और संबंधित विनियोग विधेयक पर निर्णय लिया जाएगा। नए विधायकों और नेताओं के लिए यह सत्र न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है।
इस सत्र की सबसे बड़ी तकनीकी पहल यह है कि पहली बार सदन में प्रत्येक विधायक की सीट पर डिजिटल टैब लगाए जा रहे हैं। इसके माध्यम से विधायक सवाल-पूरक पूछ सकेंगे और सदन की प्रक्रिया में भाग लेंगे। यह प्रयास नेवा योजना का हिस्सा है, जिसके तहत विधानसभा में कागज के उपयोग को लगभग समाप्त किया जा रहा है। डिजिटलाइजेशन के इस कदम को 18वीं विधानसभा के नव-निर्वाचित सदस्यों के लिए एक आधुनिक उपहार के रूप में देखा जा रहा है। इससे कार्यवाही की गति बढ़ेगी, पारदर्शिता मजबूत होगी और सदन में दस्तावेज़ प्रबंधन अधिक सरल होगा।






















