बिहार की राजनीति (Bihar Politics) एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार अपने अगले अध्याय की तैयारी में जुट गई है। सोमवार को राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जब मौजूदा मंत्रिमंडल की बैठक में सामूहिक इस्तीफा देने का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। यह बैठक सुबह 11:30 बजे निर्धारित है, और इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। इसके साथ ही नई सरकार गठन की औपचारिक प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी, जिसके जरिए बिहार में एनडीए की नई सत्ता संरचना स्थापित होगी।
कैबिनेट सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना ने साफ कर दिया है कि यह बैठक केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है। जदयू के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, इस बैठक में नीतीश कुमार को विधानसभा भंग कराने और नई सरकार बनाने की मंजूरी मांगी जाएगी। इस निर्णय के बाद राजनीतिक गतिविधियां और तेजी से आगे बढ़ेंगी, क्योंकि सभी की निगाहें 20 नवंबर को पटना में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह पर टिक गई हैं।
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सूत्रों के मुताबिक, शपथ ग्रहण समारोह भव्य और ऐतिहासिक होने वाला है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी इसे और ज्यादा खास बनाएगी। इसके अलावा एनडीए के कई शीर्ष नेता, केंद्रीय मंत्री और गठबंधन शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस समारोह में शिरकत करेंगे। यह दृश्य न केवल बिहार की नई सत्ता समीकरणों को मजबूती देगा, बल्कि एनडीए की राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती राजनीतिक पकड़ का प्रतीक भी बनेगा।
बिहार चुनाव 2025 के नतीजों ने एनडीए को भारी बहुमत का भरोसा दिया है। 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए ने 202 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की, जो हालिया वर्षों में सबसे मजबूत जनादेश माना जा रहा है। भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि जदयू ने 85 सीटें हासिल कीं। वहीं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की एलजेपी ने 19 सीटें जीतकर अपने राजनीतिक कद को और मजबूती दी। अन्य छोटे सहयोगियों ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की।






















