बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में चुनावी हार के बाद शुरू हुआ आरोप–प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा चुनावी पराजय के बाद पहली बार मीडिया को दिए बयान ने राजनीतिक तापमान अचानक बढ़ा दिया। तेजस्वी ने अपने साक्षात्कार में बीजेपी और चुनावी एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में लोकतंत्र की हत्या हुई है और असल में जनता की नहीं, बल्कि मशीनरी की जीत हुई है। तेजस्वी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी, जिसके जवाब में सत्तापक्ष ने भी बारीकी से हमला बोलना शुरू कर दिया है।
इसी क्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि तेजस्वी ऐसे आरोप इसलिए लगा रहे हैं क्योंकि जनता ने भ्रष्टाचार की छाया में डूबी राजनीति को नकार दिया है। नित्यानंद राय ने कहा कि जिस नेता पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हों, जिसके खिलाफ आरोप पत्र दायर हो चुका हो, उस पर आम जनता भरोसा क्यों करेगी? उनका कहना था कि जनता सब जानती है और बिहार के मतदाताओं ने विकास के मुद्दे पर फैसला दिया है, न कि भ्रम फैलाने वाले आरोपों पर।
नित्यानंद राय ने तेजस्वी पर घुसपैठियों को साधने और उन्हें वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और एनडीए का वोटर अब पहले से ज्यादा जागरूक है और भावनात्मक दावों के जाल में फंसने वाला नहीं। राय ने व्यंग्य करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव हार के बाद बिहार छोड़कर चले गए और अब जब भी लौटते हैं, तो बहाने बनाते हैं कि उन्हें हराया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें समझना चाहिए कि जनता सब देखती है और हर निर्णय सोच–समझकर करती है।
इसी बीच एनडीए के सहयोगी और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा भी तेजस्वी पर हमलावर नजर आए। उन्होंने तेजस्वी के आरोपों को ‘असंगत, अनुचित और बेबुनियाद’ बताया। कुशवाहा ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाना सीधे–सीधे लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। यदि तेजस्वी को संदेह है तो उन्हें गांवों में जाकर जनता से बात करनी चाहिए, वहां उन्हें असल तस्वीर साफ दिखाई दे जाएगी। उन्होंने कहा कि तेजस्वी की जमीन खिसक चुकी है, इसलिए वे राजनीति में सहानुभूति जुटाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।






















