बिहार की राजनीति में इस वक्त जबरदस्त सरगर्मी है। विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सियासी मोर्चे सजने लगे हैं। इस बार चर्चा के केंद्र में हैं मुकेश सहनी, जो 60 सीटों की मांग कर रहे हैं। लेकिन तेजस्वी यादव के जवाब ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
वैशाली में एक कार्यक्रम के दौरान जब तेजस्वी यादव से मुकेश सहनी की 60 सीटों की डिमांड पर सवाल किया गया, तो उनका जवाब बड़ा ही चौंकाने वाला था। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि हमसे तो नहीं मांगे, आपसे मांगे हैं तो आप दे दीजिए!
तेजस्वी का कटाक्ष या सियासी दांव?
तेजस्वी यादव का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है। क्या यह मुकेश सहनी के लिए सियासी संकेत था कि उनकी मांगें इतनी आसानी से पूरी नहीं होंगी? या फिर यह महागठबंधन के अंदर बढ़ती खींचतान की ओर इशारा था? क्या यह मुकेश सहनी को भाजपा की ओर धकेलने की कोशिश थी?
सवाल यह भी है कि अगर महागठबंधन में सहनी को 60 सीटें नहीं मिलती हैं, तो क्या वह फिर से पाला बदलेंगे?
महागठबंधन में बंटवारे की जंग!
महागठबंधन में सीटों को लेकर पहले से ही तनाव बना हुआ है। कांग्रेस भी अपने लिए अधिक सीटों की मांग कर रही है। मुकेश सहनी का दावा 60 सीटों का है, जो RJD के लिए मुश्किल भरा फैसला होगा। तेजस्वी यादव ने सीटों को लेकर कोई सीधा जवाब नहीं दिया, जिससे अटकलें और तेज हो गई हैं।
क्या मुकेश सहनी फिर बदलेंगे पाला?
चर्चा यह चल रही है कि अगर सहनी को महागठबंधन से उम्मीद नहीं मिली, तो उनकी भाजपा में वापसी हो सकती है। भाजपा ने भी दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं किए हैं। सहनी का दावा रहा है कि उनके पास मल्लाहों का बड़ा वोट बैंक है, जिसे भाजपा किसी भी हाल में अपने खिलाफ नहीं जाने देना चाहेगी। दूसरी ओर तेजस्वी यादव के बयान ने एक बड़ा संकेत दे दिया है कि महागठबंधन के भीतर सीटों की खींचतान अभी और बढ़ेगी।सवाल यह है कि क्या अब सहनी को मनाया जाएगा? क्या कांग्रेस और अन्य दलों के बीच तालमेल बनेगा? क्या भाजपा एक बार फिर नया दांव खेलेगी? बिहार की राजनीति में अगले कुछ हफ्ते बहुत दिलचस्प होने वाले हैं। सत्ता की इस जंग में कौन किसका साथ देगा, कौन किसे छोड़ेगा, इसका फैसला जल्द ही होने वाला है!