पटना की राजनीति इन दिनों सिर्फ़ सत्ता, समीकरणों और बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रही, बल्कि लालू यादव के परिवार (Lalu Family Dispute) के भीतर उठे तूफ़ान ने बिहार की सियासत में एक नया मोड़ पैदा कर दिया है। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के भावनात्मक बयान ने न केवल राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी, बल्कि परिवारवाद की राजनीति को लेकर नई बहस छेड़ दी है। जेडीयू, बीजेपी और एनडीए के तमाम नेताओं ने इस घटना को ‘परिवार की टूटन’ से जोड़ते हुए तेजस्वी यादव की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
जेडीयू नेता नीरज कुमार ने रोहिणी के बयान को लालू परिवार का आंतरिक मामला बताते हुए भी इसे परिवारवाद की राजनीति का भयावह सच कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि रोहिणी केवल लालू यादव की बेटी नहीं, बल्कि बिहार की बेटी हैं, और अगर उनकी आंखों में दर्द दिखाई दे रहा है तो यह संकेत है कि अंदरूनी स्थिति सामान्य नहीं है। नीरज कुमार ने रमीज़ नाम के व्यक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10–11 आपराधिक मामलों वाला हिस्ट्रीशीटर आखिर लालू यादव के घर कैसे रह रहा है और आरजेडी का चुनावी प्रबंधक कैसे बना हुआ है? उन्होंने इसे परिवार और राजनीति के भीतर गहरी अव्यवस्था का संकेत बताया।
वहीं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने इस प्रकरण को मानवीय त्रासदी बताते हुए कहा कि राजनीति अलग है, लेकिन बहनों के प्रति सम्मान और परिवार में संतुलन जैसे मुद्दे इससे कहीं ऊपर होते हैं। मांझी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने जिस अहंकार में यह स्थिति पैदा होने दी, वह जांच का विषय है और बिहार की जनता ऐसे व्यवहार को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने निजी रूप से इसे अत्यंत दुखद कहा।
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उधर जेडीयू की ही नव-निर्वाचित विधायक शालिनी मिश्रा ने रोहिणी के दर्द को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसी भी परिवार में ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव यदि राजनीति कर रहे हैं तो वह लालू यादव के बेटे होने की वजह से ही कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पहले अपने परिवार को संभालना चाहिए और फिर बिहार की राजनीति की बात करनी चाहिए। शालिनी ने रोहिणी परिवार में फिर से एकजुटता आने की कामना की।
इस पूरे घटनाक्रम पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बड़ा राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले ही कहा था कि चुनाव के बाद लालू परिवार बिखर जाएगा और अब वही होता दिख रहा है। गिरिराज सिंह ने इसे ‘परिवार-आधारित पार्टी’ की स्वाभाविक परिणति बताया और उदाहरण दिया कि इंदिरा गांधी के बाद राजीव और संजय गांधी का परिवार भी सियासी तौर पर बिखर गया था। उन्होंने कहा कि अब लोकतंत्र में परिवारवाद खत्म होने का समय आ गया है।
गिरिराज सिंह ने आगे कांग्रेस पर भी कटाक्ष किया और कहा कि पार्टी अब अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने दावा किया कि जितने विधायक कांग्रेस ने पिछले छह विधानसभा चुनावों में मिलकर नहीं जीते, उतने अकेले बिहार में भाजपा के विधायक हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ‘एक नया इतिहास’ लिख रही है, लेकिन यह इतिहास उनके अनुसार पतन का इतिहास है।
बिहार भाजपा प्रमुख दिलीप जायसवाल ने RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयान पर कहा, “यह लालू यादव के परिवार का मामला है। रोहिणी आचार्य ने अपनी किडनी देकर लालू यादव की जान बचाई है। अगर उस परिवार में रोहिणी आचार्य का सम्मान नहीं किया जाता है, तो लालू यादव और राबड़ी देवी निश्चित रूप से इसका संज्ञान लेंगे और हमें नहीं लगता कि वे इसे बर्दाश्त करेंगे… तेजस्वी यादव की पहचान ही लालू यादव के बेटे के रूप में है। अगर लालू यादव असहाय हो गए, तो इस परिवार के लिए इससे बुरा दिन कोई नहीं होगा।”






















