बिहार में महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाने वालों को आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा (Manoj Jha Targets NDA) ने तीखा जवाब दिया है। सत्ता पक्ष और कुछ मीडिया समूहों द्वारा महागठबंधन में टूट की कहानी गढ़े जाने पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक भविष्यवाणियाँ हवा के झोंकों से नहीं चलतीं। झा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ लोग अभी से आरजेडी और महागठबंधन की ‘राजनीतिक ओबिच्युरी’ लिखने में लगे हैं, जबकि राजनीति का असली स्वरूप समय के साथ ही सामने आता है।

मनोज झा ने कहा कि राजनीति किसी एक दिन, एक सप्ताह या किसी क्षणिक माहौल पर आधारित नहीं होती। सत्ता की हवाएं कब बदल जाएं, यह किसी के अनुमान से परे है। उन्होंने दावा किया कि जनता का मूड स्थिर नहीं होता और परिवर्तन के संकेत आने में भी अधिक समय नहीं लगता। मनोज झा का संकेत साफ था कि जो लोग महागठबंधन की कमजोरी का नैरेटिव बनाने में लगे हैं, वे जल्द ही परिस्थितियों का बदलता रुख देखेंगे।
सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधते हुए उन्होंने सलाह दी कि सरकारें अपने वादों पर काम करके ही टिकती हैं, विशेषकर तब जब युवा बेरोज़गारी के दबाव से गुजर रहे हों। झा ने कहा कि बिहार के युवाओं ने रोजगार, उद्योग और बेहतर भविष्य के सपनों पर भरोसा करके वोट दिया था। यदि इन वादों को पूरा करने में देरी हुई, तो युवा अगले चुनाव का इंतज़ार नहीं करेंगे और जनादेश पलटते देर नहीं लगेगी।
चिराग पासवान का सियासी वार.. विपक्ष डूबती नाव, विधायक ढूंढ रहे नया किनारा
उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को समझना चाहिए कि जनता की उम्मीदें लंबी अवधि तक धैर्य नहीं रखतीं। “ज़िंदा कौम पाँच साल इंतज़ार नहीं करती,” कहते हुए झा ने सत्तापक्ष को चेताया कि जनता की आकांक्षाओं को हल्के में लेना राजनीतिक भूल साबित हो सकती है।
अंत में उन्होंने कहा कि राजनीतिक संवाद में सभ्यता और संयम बनाए रखना सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है, क्योंकि लोकतंत्र मतदाता की उम्मीदों से ही संचालित होता है। उन्होंने दोहराया कि महागठबंधन एकजुट है और जो लोग जल्दबाजी में निष्कर्ष निकाल रहे हैं, उन्हें हालात बदलने का इंतज़ार करना चाहिए।






















