बिहार की सियासत में एक बार फिर बयानबाज़ी तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल की ओर से यह कहे जाने पर कि खरमास के बाद बिहार में ‘फिर खेला’ होगा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मार सकते हैं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान झूठ और राजनीतिक हताशा का नतीजा हैं। उनके मुताबिक RJD के पास न तो ठोस मुद्दे बचे हैं और न ही राजनीति करने का नैतिक साहस, इसलिए वह भ्रम फैलाने वाली बातें कर रही है।
नित्यानंद राय ने यह भी कहा कि बिहार की राजनीति अब अफवाहों से नहीं, बल्कि काम और स्थिरता से तय होती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाना जनता की समझ का अपमान है। उनके अनुसार राज्य की जनता ने देख लिया है कि कौन विकास और कानून-व्यवस्था के पक्ष में खड़ा है और कौन केवल सत्ता की जोड़-तोड़ में उलझा हुआ है।
खरमास के बाद खेल’ के दावों पर संजय झा का पलटवार.. बोले- हकीकत से भाग रहा विपक्ष
RJD के अंदरूनी हालात पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्टी के भीतर खुद गंभीर विवाद पैदा हो चुका है। उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर अब कार्यकर्ताओं और समर्थकों का भरोसा कमजोर पड़ा है। इसी संदर्भ में उन्होंने तेजस्वी यादव के विदेश जाने को लेकर तंज कसते हुए कहा कि इससे यह संदेश जाता है कि पार्टी नेतृत्व जमीनी राजनीति से दूर होता जा रहा है। नित्यानंद राय ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की तुलना करते हुए कहा कि दोनों का स्वभाव एक जैसा दिखता है, जो मुश्किल वक्त में देश या राज्य में टिककर संघर्ष करने के बजाय बाहर रहने को प्राथमिकता देते हैं।
शिवानंद तिवारी द्वारा तेजस्वी यादव को दी गई नसीहत के सवाल पर नित्यानंद राय ने इसे RJD का आंतरिक मामला बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता किसे क्या सलाह देते हैं, यह वही बेहतर तरीके से समझ सकते हैं, लेकिन यह साफ है कि अंदरूनी असंतोष अब सार्वजनिक हो चुका है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस आरोप पर भी नित्यानंद राय ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि बंगाल में एक करोड़ पचास लाख से ज्यादा लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने इस पर दो टूक कहा कि अब कोई भी पार्टी या सरकार घुसपैठियों के सहारे चुनाव नहीं जीत सकती। उन्होंने कहा कि न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे भारत में यह साफ हो चुका है कि लोकतंत्र की ताकत भारत की जनता है, न कि अवैध तरीके से शामिल किए गए नाम। उनके मुताबिक जो भी कार्रवाई हो रही है, वह नियम और कानून के दायरे में हो रही है और इसका मकसद चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखना है।






















