Riga Vidhan Sabha Seat: बिहार की रीगा विधानसभा सीट (सीतामढ़ी जिला) का इतिहास बहुत पुराना नहीं है, लेकिन राजनीतिक रूप से यह सीट हर चुनाव में खास महत्व रखती है। 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें भाजपा ने दो बार और कांग्रेस ने एक बार जीत हासिल की है। वर्तमान में यहां भाजपा के मोतीलाल प्रसाद विधायक हैं, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस प्रत्याशी अमित कुमार को हराकर दोबारा कब्जा जमाया।
पिछले चुनाव के नतीजे
2010 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अमित कुमार को 22 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी। उस चुनाव में कुल 21 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनमें 11 निर्दलीय उम्मीदवार थे।
2015 में कांग्रेस ने वापसी की और महागठबंधन के समर्थन से अमित कुमार ने भाजपा के मोतीलाल प्रसाद को हरा दिया। उस चुनाव में कांग्रेस को 79,217 वोट मिले जबकि भाजपा को 56,361 वोट ही हासिल हुए। लगभग 57 प्रतिशत मतदान हुआ था और 1,000 से ज्यादा वोट नोटा में पड़े थे।
2020 का चुनाव रीगा सीट पर भाजपा के लिए ऐतिहासिक रहा। मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अमित कुमार को करारी शिकस्त दी। भाजपा को 95,226 (53.07%) वोट मिले जबकि कांग्रेस के अमित कुमार को 62,731 (34.96%) वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस जीत ने भाजपा की इस सीट पर पकड़ और मजबूत कर दी।
जातीय समीकरण
रीगा विधानसभा का जातीय समीकरण हर बार चुनावी परिणाम में निर्णायक भूमिका निभाता है। यहां यादव, राजपूत और ब्राह्मण समुदाय की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि कोइरी जाति भी असरदार भूमिका निभाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस सीट पर लगभग 43,990 (14.07%) एससी और 63 (0.02%) एसटी मतदाता हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 47,835 है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 15.3% है। ग्रामीण मतदाता 90.7% हैं जबकि शहरी मतदाताओं की हिस्सेदारी सिर्फ 9.3% है। यही वजह है कि ग्रामीण मुद्दे और जातीय समीकरण यहां की सियासत को गहराई से प्रभावित करते हैं।
रीगा विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है। एक ओर भाजपा अपने मौजूदा विधायक मोतीलाल प्रसाद की लोकप्रियता और संगठन के दम पर जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस के लिए यह सीट अपनी साख बचाने की चुनौती होगी। महागठबंधन का समर्थन कांग्रेस के लिए अहम होगा, जबकि भाजपा एनडीए के मजबूत आधार पर भरोसा कर रही है। 2025 का चुनाव तय करेगा कि क्या भाजपा यहां अपनी पकड़ बरकरार रख पाती है या कांग्रेस एक बार फिर वापसी कर पाती है।






















