Sheohar Vidhan Sabha Seat: बिहार की शिवहर विधानसभा सीट राज्य की राजनीति में हमेशा से अहम मानी जाती रही है। यह सीट कांग्रेस का परंपरागत गढ़ कही जाती है, लेकिन वक्त के साथ यहां राजद और जदयू ने भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। दिलचस्प तथ्य यह है कि अब तक हुए 18 चुनावों में भाजपा यहां कभी जीत हासिल नहीं कर सकी। वर्तमान में यह सीट सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि 2020 में राजद के टिकट पर जीतकर विधायक बने चेतन आनंद ने बाद में नीतीश कुमार का साथ थाम लिया।
राजनीतिक इतिहास
अगर इस सीट के इतिहास पर नजर डालें तो कांग्रेस ने अब तक चार बार यहां से जीत दर्ज की है। राजद को भी यहां चार बार सफलता मिली है। जदयू और जनता दल ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी, एजीपी और भारतीय क्रांति दल ने एक-एक बार यहां जीत का स्वाद चखा है। तीन बार निर्दलीय उम्मीदवार भी यहां से विजयी रहे हैं।
Dhaka Vidhan Sabha : कांग्रेस का गढ़, भाजपा की मौजूदगी और मुस्लिम वोटरों की निर्णायक भूमिका
शिवहर सीट की सबसे बड़ी राजनीतिक शख्सियत रघुनाथ झा रहे, जो लगातार छह बार विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल के टिकट पर यहां जीत हासिल की और बिहार की राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1998 के उपचुनाव में ठाकुर रत्नाकर ने उन्हें हराकर बड़ा उलटफेर किया था। 2000 और 2005 में राजद ने यहां वापसी की। इसके बाद 2010 और 2015 में जदयू के मोहम्मद शर्फुद्दीन ने जीत दर्ज की।
पिछले चुनाव के नतीजे
2015 का चुनाव बेहद रोमांचक रहा जब शर्फुद्दीन ने हम की प्रत्याशी लवली आनंद को मात्र 461 वोटों से हराया। 2010 में उन्होंने बसपा की प्रतिमा देवी को पराजित किया था। वहीं 2020 में राजद ने चेतन आनंद पर भरोसा जताया और उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। चेतन को 73,143 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे जदयू के शर्फुद्दीन को 36,457 वोट हासिल हुए। इस चुनाव में लोजपा के विजय कुमार सिन्हा तीसरे स्थान पर रहे।
जातीय समीकरण
शिवहर का जातीय समीकरण हमेशा चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है। यहां मुस्लिम और राजपूत मतदाता दोनों की संख्या 10% से ज्यादा है। ब्राह्मण वोटरों की भूमिका भी निर्णायक रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां 14.77% एससी, 0.04% एसटी और लगभग 15% मुस्लिम मतदाता हैं। इस सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 94% है, जबकि शहरी मतदाता सिर्फ 6% हैं। यही वजह है कि स्थानीय मुद्दे और ग्रामीण समीकरण यहां की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।
अबकी बार शिवहर सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प रहने वाला है। भाजपा आज तक यहां जीत का खाता नहीं खोल पाई है, लेकिन 2025 चुनाव में वह अपनी पूरी ताकत लगाएगी। दूसरी ओर राजद और जदयू की रणनीति पर सबकी नजर होगी, खासकर तब जब चेतन आनंद ने पाला बदलकर नीतीश का साथ दे दिया है। कांग्रेस, जो कभी यहां की सबसे मजबूत पार्टी थी, अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।






















