बिहार (Bihar SIR) में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर चल रहे विवादों पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि SIR को कानूनी रूप से मान्यता है और इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर मतदाता-नामों को हटाए जाने की शुरुआत में जताई गई आशंकाओं को कोर्ट ने आधारहीन माना है।
इस फैसले के बाद, राज्य में SIR पूरी करने वाले दलों ने इसे लोकतंत्र की रक्षा और मतदाता सूची को शुद्ध बनाने की एक ज़रूरी गतिविधि बताया है। लेकिन विरोधी दलों ने इसे मतदाताओं के अधिकारों के विरुद्ध कदम करार देते हुए SIR को लेकर तीखा रुख अपनाया है।
सीएम नीतीश ने मुख्य सचिवालय का किया निरीक्षण.. अफसरों को दी चेतावनी- लापरवाही बर्दाश्त नहीं
इसी बीच, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि SIR मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जितनी बातें रखनी थी, विपक्ष ने वे रख दी। उन्होंने यह भी पूछा कि जब इतना व्यापक सत्यापन और शुद्धिकरण हो चुका है, मतदाता सूची को जनता ने स्वीकार भी कर लिया है, तो फिर विरोध क्यों? उन्होंने विशेष कर ममता बनर्जी को चेतावनी दी कि तुष्टिकरण की राजनीति करना छोड़ दें।
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने कांग्रेस की हालिया बैठक पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस अब बिहार में नहीं रही। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस SIR और वोट चोरी जैसे मुद्दों को मुद्दा बनाकर भ्रम फैला रही है, जबकि असल में राजनीतिक टिकट पैसे लेकर बेचने जैसी गंदी राजनीति करती रही है।
वहीं भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने पश्चिम बंगाल सरकार को नसीहत दी कि वे जान लें कि उनका शासन अब कुछ दिनों की मेहमान-सरकार है। उन्होंने कहा कि SIR का विरोध दरअसल यह साबित करने की कोशिश है कि सरकार ने अपने कार्यों पर विश्वास नहीं है, असली मतदाता सुरक्षित हो जाएँ, तो वे डरते हैं।






















