बिहार की नई सरकार ने गठन के तुरंत बाद लिए फैसलों से संकेत दे दिया है कि आने वाले समय में राज्य सिर्फ राजनीतिक सुर्खियों में नहीं, बल्कि तकनीक, उद्योग, शहरी विकास और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में भी अपनी नई पहचान बनाने जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई नई कैबिनेट की पहली बैठक सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य के आर्थिक नक्शे की ब्लूप्रिंट मानी जा रही है।
इस बैठक में औद्योगिक विस्तार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन, स्टार्टअप इकोसिस्टम, सैटेलाइट टाउनशिप, ग्लोबल टेक सुविधाओं और चीनी मिल पुनरुद्धार से जुड़े दस बड़े और ऐतिहासिक फैसलों को मंजूरी दी गई। इन प्रस्तावों की स्वीकृति के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार अब पारंपरिक अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर न्यू-एज टैक्नोलॉजी और हाई वैल्यू इंडस्ट्रीज की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।
राज्य सरकार के स्तर पर अब नीतिगत फैसलों से लेकर कार्यान्वयन तक निगरानी के लिए उच्च स्तरीय समितियाँ बनाई गई हैं, जो इन योजनाओं की दिशा, गति और प्रभाव को जमीन पर उतारने का काम करेंगी।
बिहार को पूर्वी भारत के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने का सबसे बड़ा फैसला इस बैठक में सामने आया। डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सेमीकंडक्टर यूनिट्स और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स तक, सरकार की मंशा साफ है कि राज्य अब सिर्फ उद्योग की बात नहीं करेगा बल्कि हाई-टेक निवेशों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। इसके लिए फिनटेक सिटी, मेगा टेक सिटी और आईटी पार्क जैसी संरचनाएँ विकसित की जाएंगी।
सरकार का दावा है कि इन योजनाओं के लागू होने पर लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा और देश-विदेश की कंपनियाँ बिहार में निवेश करेंगी।
इसी बैठक में एक और दूरगामी फैसला सामने आया- बिहार को आने वाले पाँच वर्षों में “ग्लोबल बैक-एंड सर्विस हब” में बदलने की योजना। इसमें बीपीओ, केपीओ, डेटा प्रोसेसिंग, डिजिटल मैनेजमेंट और आईटी सपोर्ट जैसे फ्यूचर-रोजगार क्षेत्रों पर विशेष फोकस रखा गया है। विश्लेषकों के अनुसार, डिजिटल दुनिया में आउटसोर्सिंग की मांग काफी बढ़ रही है और बिहार कम लागत और गुणवत्ता वाले मानव संसाधन के साथ एक बड़े केंद्र के रूप में उभर सकता है।
नई आर्थिक वास्तविकताओं में स्टार्टअप सेक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि राज्य के युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष नीति लागू की जाएगी। एक उच्च स्तरीय समिति स्टार्टअप के लिए फंडिंग, स्किल-बेस्ड सपोर्ट और ग्रोथ पॉलिसी को जमीन पर उतारने का काम करेगी। इसका उद्देश्य बिहार के स्टार्टअप इकोसिस्टम को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और प्रभावी बनाना है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लाए गए बिहार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन को मंजूरी मिलते ही राज्य डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में निर्णायक कदम उठाता दिख रहा है। इस मिशन का लक्ष्य शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, ई-गवर्नेंस और सेवाओं में एआई आधारित समाधान लागू करना है। इससे सरकारी कामकाज पारदर्शी, तकनीकी और समयबद्ध हो सकेगा।
शहरी विकास की दिशा में भी बैठक ने बड़े फैसलों की मुहर लगाई। राज्य में 11 नए सैटेलाइट और ग्रीनफील्ड टाउनशिप विकसित की जाएंगी। इन टाउनशिप में आवास, परिवहन, जल प्रबंधन, स्वच्छता और डिजिटल सुविधाओं को आधुनिक मानकों के हिसाब से विकसित किया जाएगा। इससे बिहार के बढ़ते शहरीकरण को दिशा मिलेगी और ग्रेटर पटना सहित कई नए शहरी केंद्र अस्तित्व में आएंगे।
कृषि आधारित उद्योगों की बात करें तो चीनी मिलों के पुनरुद्धार और नई मिलों की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। उत्तर बिहार के किसानों के लिए यह फैसला किसी राहत से कम नहीं माना जा रहा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी निवेश, नीतिगत कार्य और पुनर्स्थापन कार्य का रोडमैप तैयार करेगी। उम्मीद है कि इससे किसान, उद्योग और स्थानीय रोजगार, तीनों क्षेत्रों को फायदा मिलेगा।



























