Bihar University Scam: भागलपुर से आई खबर ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को हिला दिया है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) के एमबीए विभाग में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का मामला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि विभाग के खर्च से संबंधित सभी बिल केवल दो अधिकारियों और निदेशक के हस्ताक्षर से पास किए गए, जबकि नियमों के अनुसार कुलसचिव की अनुमति अनिवार्य थी। इस प्रक्रिया को दरकिनार कर करोड़ों रुपये की खरीदारी और भुगतान किए जाने का शक गहराता जा रहा है।
प्रभारी कुलपति प्रो. विमलेंदु शेखर झा ने तत्काल जांच शुरू कर दी है। उन्होंने जब्त फाइलों को मंगवाकर विभागाध्यक्ष से जवाब तलब किया है और साफ संकेत दिए हैं कि दोषी पाए जाने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा। राजभवन ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और विश्वविद्यालय से 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपी जाएगी और उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व कुलपति प्रो. जवाहर लाल के कार्यकाल में फर्नीचर, किताबों, पर्दों, डीजी जेनरेटर और अन्य सामग्रियों की खरीद की गई थी। खास बात यह है कि 24 मई 2025 को राजभवन ने पूर्व कुलपति के नीतिगत फैसलों पर रोक लगा दी थी, फिर भी एमबीए विभाग में भुगतान किए गए। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन में मिलीभगत के बिना यह संभव था।
यह मामला तब उजागर हुआ जब एक पूर्व छात्र ने कुलाधिपति को लिखित शिकायत भेजी। शिकायत में आरोप था कि विभाग में खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर हेरफेर हुआ है। इसी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने छानबीन शुरू की, जिसके बाद कई और अनियमितताएं सामने आने लगी हैं।
















