बिहार की 18वीं विधानसभा (Bihar Vidhan Sabha Update) का पहला सत्र शुरू होने से पहले ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने राजनीतिक गतिविधियों को नई दिशा देते हुए पांच विधायकों को अध्यासी सदस्य के रूप में मान्यता दे दी है। यह कदम न सिर्फ सदन की शुरुआती कार्यवाही को प्रभावित करेगा, बल्कि आगामी विधायी चुनौतियों और सत्ता–विपक्ष के समीकरणों पर भी गहरा असर डालता दिख रहा है। अध्याशी सदस्यों में राम नारायण मंडल, रत्नेश सदा, भाई वीरेंद्र, कमरूल होदा और ज्योति देवी के नाम शामिल हैं। इन नेताओं को सदन की पारंपरिक प्रक्रियाओं के अनुरूप महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ संभालनी होंगी, जहां वे सदन संचालन को सुचारू बनाए रखने में भूमिका निभाएंगे।
अध्यक्ष ने इसी के साथ कार्यमंत्रणा समिति के गठन की भी घोषणा की, जिसे किसी भी विधानसभा की रणनीतिक रीढ़ माना जाता है। इस समिति में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के प्रतिनिधियों को शामिल कर राजनीतिक संतुलन कायम रखने की कोशिश दिखती है। समिति में अध्यक्ष स्वयं सभापति की भूमिका निभाएंगे, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी, वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजू तिवारी इसके सदस्य बनाए गए हैं। इस संरचना से साफ है कि यह समिति आने वाले सत्र की विधायी प्राथमिकताओं, बहस के एजेंडे और सदन में अनुशासन बनाए रखने से लेकर बड़े फैसलों की दिशा तय करेगी।
हाइटेक बिहार विधानसभा में 10 मिनट बंद रहा राज्यपाल का माइक.. हो गई सरकार की फज़ीहत!
कार्यमंत्रणा समिति में विशेष आमंत्रित सदस्यों का चयन भी राजनीतिक संदेशों से भरा हुआ है। विधानसभा उपाध्यक्ष के साथ श्रवण कुमार, विनोद नारायण झा, मनोहर प्रसाद सिंह, अख्तरूल इमान, प्रफुल्ल कुमार मांझी, स्नेहलता, अरुण सिंह, अजय कुमार और इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता को आमंत्रित किया गया है।






















