बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) से पहले राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। 4 अक्टूबर को पटना में होने वाली चुनाव आयोग की बैठक ने एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त खुद राजधानी पहुंचकर सभी राजनीतिक दलों के साथ चुनाव तैयारियों की समीक्षा करेंगे। यह बैठक सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक पटना के होटल ताज में होगी।
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इस बैठक में जहां भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू जैसे बड़े दलों को शामिल किया गया है, वहीं कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय दलों को नदारद रखा गया है। मुकेश साहनी की वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी), उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) को बुलावा नहीं भेजा गया है। यह फैसला अब बिहार की राजनीतिक जमीन पर नए समीकरण और नाराजगी की वजह बनता दिख रहा है।

अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अमित कुमार पांडेय ने आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट), इंडियन नेशनल कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास), राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन जैसी पार्टियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है।






















