बिहार विधानसभा (Bihar Vidhan Sabha) के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन राजनीतिक रूप से बेहद खास रहा, जब मधेपुरा के आलमनगर से आठ बार विजयी हुए जेडीयू के वरिष्ठ विधायक नरेंद्र नारायण यादव को निर्विरोध उपाध्यक्ष चुन लिया गया। आमतौर पर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तकरार देखने को मिलती है, लेकिन इस चयन ने एक दुर्लभ सहमति की तस्वीर पेश की। विपक्ष ने भी उनके नाम पर समर्थन जताकर संसदीय मर्यादा को मजबूत संदेश दिया। सदन में अध्यक्ष द्वारा उनके निर्विरोध चुने जाने की घोषणा के साथ ही मेज थपथपाकर स्वागत किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि इस चयन को पूरे सदन ने खुले मन से स्वीकार किया है।
सुबह की कार्यवाही शुरू होते ही उपाध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई। सत्तापक्ष की ओर से नरेंद्र नारायण यादव का नाम प्रस्तावित किया गया, जिस पर किसी दल ने न तो आपत्ति जताई और न ही वैकल्पिक नाम सामने रखा। विधान सभा अध्यक्ष ने इसे सर्वसम्मति का निर्णय मानते हुए उन्हें उपाध्यक्ष घोषित कर दिया।
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नरेंद्र नारायण यादव का राजनीतिक सफर बिहार की राजनीति में स्थिरता और निरंतरता का बेहतरीन उदाहरण है। वर्ष 1995 में पहली बार विधायक बनने के बाद से वे आलमनगर क्षेत्र में लगातार आठ बार जनता का भरोसा हासिल कर चुके हैं। विकास कार्यों में सक्रियता, जमीनी जुड़ाव और सादगीपूर्ण व्यवहार ने उन्हें जनता के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच भी सम्मान दिलाया। उनकी यह छवि कि वे सभी दलों के नेताओं के साथ संवाद बनाए रखते हैं, उपाध्यक्ष पद के लिए उनके चयन का एक बड़ा कारण मानी जा रही है। जेडीयू नेतृत्व को भी यह भरोसा है कि यादव की शांत और संतुलित राजनीतिक शैली सदन में एक नए सहयोगात्मक माहौल का निर्माण कर सकती है।






















