बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची को लेकर सियासत गर्म है। एक ओर जहां निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर को अंतिम वोटर लिस्ट (Bihar Voter List 2025) जारी कर दी है, वहीं विपक्षी दल लगातार इस सूची पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम बिना वजह काट दिए गए हैं। इस मुद्दे ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जिलाधिकारियों के पास एक भी अपील दर्ज नहीं की गई है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार, चुनाव आयोग ने राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़ों की समीक्षा के बाद बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24(ए) के तहत नौ अक्टूबर तक किसी भी जिला दंडाधिकारी को मतदाता सूची से नाम हटाने या जोड़ने को लेकर कोई अपील नहीं मिली है। यह स्थिति तब है जब आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ी या त्रुटि पाए जाने पर अपील का स्पष्ट अवसर दिया था।
बिहार चुनाव 2025: पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया शुरू.. 18 जिलों की 121 सीटों पर सियासी जंग का आगाज़
दरअसल, बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान 2025 की शुरुआत जून महीने में की गई थी। उस समय राज्य में कुल 7 करोड़ 89 लाख मतदाता दर्ज थे। पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिनमें 22 लाख मृतक मतदाता, 35 लाख विस्थापित मतदाता और लगभग सात लाख दोहरी प्रविष्टि वाले मतदाता शामिल थे।
आयोग ने इस प्रक्रिया के लिए नागरिकों को एक महीने यानी एक अगस्त से एक सितंबर तक का समय दावा-आपत्ति दर्ज कराने के लिए दिया था। इस अवधि में लगभग 3 लाख 66742 नाम हटाए गए, जबकि 21 लाख 53343 नए योग्य मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया। इसके बाद 30 सितंबर को जारी अंतिम वोटर लिस्ट में कुल 7 करोड़ 41 लाख 92 हजार 357 मतदाता दर्ज किए गए।
विपक्षी दलों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर नामों की कटौती पारदर्शी नहीं रही और कई जगहों पर वैध मतदाताओं को भी सूची से बाहर कर दिया गया है। हालांकि, चुनाव आयोग के ताज़ा आंकड़े इन दावों पर प्रश्न खड़े करते हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मुद्दा चुनावी नैरेटिव को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि वोटर लिस्ट पर भरोसा किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की नींव होती है।






















