मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने राज्य में अंतिम मतदाता सूची (Bihar Voter List Final 2025) जारी कर दी। यह सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Summary Revision) के अंतर्गत तैयार की गई है और इसमें दावों और आपत्तियों के बाद अंतिम आंकड़े शामिल किए गए हैं।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (Chief Electoral Officer, Bihar) ने इस ऐलान को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि 1 जुलाई 2025 को अर्हता तिथि मानते हुए यह अंतिम सूची प्रकाशित की गई है। अब मतदाता अपने नाम सूची में देखने के लिए आधिकारिक पोर्टल पर जाकर जानकारी ले सकते हैं।
बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी.. पटना में 1,63,600 मतदाता बढ़े, इस वेबसाइट पर देखें अपना नाम
राजधानी पटना की बात करें तो यहां के जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-जिलाधिकारी ने जिले की सभी 14 विधानसभा सीटों के आंकड़े साझा किए हैं। इस घोषणा के अनुसार, पटना जिले में कुल 48,15,294 मतदाता दर्ज किए गए हैं। यह संख्या 01 अगस्त 2025 को प्रकाशित प्रारंभिक सूची से 1,63,600 अधिक है, जो चुनाव में लोगों की बढ़ती भागीदारी और जनसांख्यिकीय बदलावों का संकेत देती है। प्रशासन ने इस वृद्धि को लोकतंत्र की मजबूती के रूप में देखा है और मतदाताओं से आगामी चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की है।
किस सीट पर कितने मतदाता?
पटना के 14 विधानसभा क्षेत्रों में से दीघा (4,56,448) और कुम्हरार (4,30,016) सबसे अधिक मतदाताओं वाले क्षेत्र हैं, जो यह दर्शाता है कि शहरी इलाकों में आबादी और राजनीतिक सक्रियता दोनों अधिक हैं। बांकीपुर (3,78,268), पटना साहिब (3,88,369), फुलवारी (3,84,138) जैसे क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में वोटर दर्ज हैं। वहीं मोकामा (2,84,108), बाढ़ (2,90,937), पालीगंज (2,83,537) जैसे क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम, लेकिन निर्णायक भूमिका निभाने वाले वोटर हैं।
लिंग के आधार पर मतदाताओं का वितरण
जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार:
- पुरुष मतदाता: 25,40,363
- महिला मतदाता: 22,74,774
- थर्ड जेंडर: 157
यह डेटा इस बात की पुष्टि करता है कि महिला मतदाताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, और चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही महिला मतदाता जागरूकता मुहिम असरदार साबित हो रही है।चुनाव पूर्व जारी यह सूची सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि बिहार की चुनावी नब्ज़ का प्रतिबिंब है। मतदाता सूची में यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि युवा और नए वोटर भी अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने को तैयार हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय पार्टियों और गठबंधनों के लिए यह संकेत है कि उन्हें मतदाताओं की बदलती संरचना को ध्यान में रखकर रणनीति बनानी होगी।






















