Bihar Voter List Ghotala: स्वतंत्रता दिवस पर जब देशभर में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, उसी समय बिहार की राजनीति में एक सियासी चिट्ठी ने हलचल मचा दी। आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहारवासियों के नाम खुला पत्र लिखकर आरोप लगाया कि राज्य में मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर जीवित लोगों के नाम काटे जा रहे हैं, जबकि मृतकों के नाम जोड़े जा रहे हैं। तेजस्वी का कहना है कि यह सिर्फ वोटर लिस्ट में गड़बड़ी नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है।
तेजस्वी ने पत्र में सवाल उठाया कि जब जिंदा इंसान को वोटर लिस्ट में मृत दिखा दिया जाए, तो वह अपने घर पर तिरंगा फहराकर कौन-सी आजादी का जश्न मनाएगा? उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में तानाशाही और सामंती व्यवस्था कायम करने की कोशिश हो रही है, जहां सत्ता पक्ष के लोगों के नाम एक से अधिक जगह वोटर लिस्ट में मौजूद हैं, जबकि गरीब और हाशिए पर खड़े लोगों को अपना एक वोट बनवाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए आधार कार्ड को मान्य नहीं माना जा रहा, जबकि निवास प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है, जो आधार से ही बनता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जिनका घर और निवास प्रमाण पत्र बह गया है, उन्हें वोटर बनने का अधिकार नहीं मिल रहा, जबकि बाहरी राज्यों के लोगों के नाम बिहार की सूची में दर्ज किए जा रहे हैं।
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया खासतौर से गरीब, पिछड़े, दलित और मजदूर वर्ग को मताधिकार से वंचित करने के लिए अपनाई जा रही है। उन्होंने बिहारवासियों से लोकतंत्र और स्वाधीनता की रक्षा के लिए एकजुट होने की अपील करते हुए 17 अगस्त से शुरू हो रही महागठबंधन की “बिहार वोटर अधिकार यात्रा” में शामिल होने का आग्रह किया। तेजस्वी के इस पत्र ने न केवल बिहार की राजनीति में नए सियासी विवाद को जन्म दिया है, बल्कि मतदाता अधिकार और चुनावी पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।





















