बिहार में चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच एक बार फिर से सियासी बयानबाज़ी ने गरमा गर्मी बढ़ा दी है। बिहार बंद और मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर उठे विवाद पर डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का तंज चर्चा में है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि 4 करोड़ से अधिक वोटर्स ने वोटर लिस्ट रिवीजन फॉर्म भरकर चुनाव आयोग के अभियान को जनसमर्थन दिया है, जबकि राहुल गांधी बिहार सिर्फ ‘पॉलिटिकल पिकनिक’ मनाने आते हैं।
सम्राट चौधरी का यह बयान उस वक्त आया जब विपक्ष ने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया के खिलाफ बिहार बंद का आह्वान किया था। कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों सहित महागठबंधन ने इस प्रक्रिया को जनविरोधी बताते हुए इसे स्थगित करने की मांग की। वहीं, भाजपा ने विपक्ष के बंद को पूरी तरह विफल करार देते हुए कहा कि आम जनता ने इसे सिरे से नकार दिया।
सम्राट चौधरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राहुल गांधी को न बिहार की समस्याओं से कोई सरोकार है, न ही उनके पास कोई समाधान। “वे बिहार आते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और पिकनिक की तरह चले जाते हैं,” ऐसा कहकर उन्होंने राहुल गांधी की बिहार यात्रा को हल्के में लेने का संकेत दिया। उन्होंने दावा किया कि 4 करोड़ वोटरों द्वारा फॉर्म भरना यह दर्शाता है कि जनता चुनाव आयोग के साथ है, विपक्ष की राजनीति नहीं।
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी विपक्ष की रणनीति पर निशाना साधा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि “बिहार बंद को जनता ने ठुकरा दिया, सड़कों पर सामान्य आवागमन रहा, बाजार खुले और जनता ने रोजमर्रा के कार्यों को प्रभावित नहीं होने दिया।” उन्होंने इस आंदोलन को सिर्फ एक ‘राजनीतिक स्टंट’ बताया।
भाजपा सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने महागठबंधन की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने याद दिलाया कि 2003 में लालू प्रसाद यादव की सरकार के समय भी बिहार में 31 दिनों तक मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण हुआ था, और उस वक्त किसी भी दल को इस पर आपत्ति नहीं थी। ऐसे में 2024 में इस प्रक्रिया का विरोध करना केवल राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है।
डॉ. जायसवाल ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष, विशेषकर महागठबंधन, सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले ‘दबाव की राजनीति’ करना चाहता है। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या चक्का जाम कर वे सुप्रीम कोर्ट को डराना चाहते हैं?”